घर घर जाना संभव भी तो नहीं
इसलिए हम लोगों के दिल में रहते हैं,
एक आशियाना बनाएंगे उनके लिए
जिनको हम दिल से चाहते हैं।
इधर फलक को है ज़िद बिजलियां गिराने की,,,
उधर हमे भी धुन है आशियाना बनाने की।।
घर घर जाना संभव भी तो नहीं
इसलिए हम लोगों के दिल में रहते हैं,
एक आशियाना बनाएंगे उनके लिए
जिनको हम दिल से चाहते हैं।
पहलू में बैठे हैं वो
और चेहरा भी छुपाए हैं,
कहते हैं प्यार नहीं तुमसे
हाथों में मेरा हाथ दबाए बैठे हैं।
पहलू में बैठे हैं वो
और चेहरा भी छुपाए हैं,
कहते हैं प्यार नहीं तुमसे
हाथों में मेरा हाथ दबाए बैठे हैं।
अब ना होती शायरी हमसे क्योंकिफिर दिल के आँगन में उतरा उस का सारा रूप
उस चेहरे की शीतल किरनें, उस मुखड़े की धूप।।
अब ना होती शायरी हमसे क्योंकि
हमे लग गई है जोरों की भूख..!!
इधर फलक को है ज़िद बिजलियां गिराने की,,,
उधर हमे भी धुन है आशियाना बनाने की।।
दिखावे के रिश्तों में भी कुछ तो बात है।
दिल में कुछ और तो क्या, जुबां पे तो मिठास है ।।
रिश्ते हमारे जीवन की वो फ़सलें हैं जिन्हें जिस तरीके से सींचा जाता है वो उसी के अनुसार पैदावार देती हैं। ये ज़रूर है कि उनमें ग़म और खुशी के मौसमों की मार पड़ती रहती है लेकिन ज़रूरी ये है कि बावजूद इसके उसकी हिफ़ाजत की जाए
अब ना होती शायरी हमसे क्योंकि
हमे लग गई है जोरों की भूख..!!
बहुत खूब....
आंखों की बातें हैं
आंखों को ही कहने दो,
कुछ लफ्ज़ लबों पर
मैले हो जाते हैं.....