शाखों पे पत्ते थे, पत्तों में बूंदे थी।
बूंदों में पानी था, पानी में आँसू थे.....
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ना जाने क्यों दिल भर गया
ना जाने क्यों आँख भर गई।
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सुनो,आंख भर आई किसी से जो मुलाकात हुई
खुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई।।
सुनो,
होगी तुम्हारे पास ज़माने भर की डीग्रीयां
छलकतीं ऑखों को ना पढ़ पाये तो अनपढ़ हो तुम।
कहां धोखा दे पाते है अनपढ़ लोग
किसी को सारी चालाकियां पढ़े लिखे लोग सीखा जाते है।।।
लोगों के चालाकियां देखकर
हम भी सोचते हैं चालाक हो जाएं
पर क्या करें समझ नहीं आता
ये दिल कमबख्त सुनता भी तो नहीं।
लोगों के चालाकियां देखकर
हम भी सोचते हैं चालाक हो जाएं
पर क्या करें समझ नहीं आता
ये दिल कमबख्त सुनता भी तो नहीं।
I'm out of wordsशाखों पे पत्ते थे, पत्तों में बूंदे थी।
बूंदों में पानी था, पानी में आँसू थे.....
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ना जाने क्यों दिल भर गया
ना जाने क्यों आँख भर गई।
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Itna bura likh diya kya maineI'm out of words
No mujhe likhna nhi aataItna bura likh diya kya maine
Hme bhi nhi likhna aataNo mujhe likhna nhi aata
लोग मतलब की बातें तो समझ जाते हैंहाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन
जब वो रुख़्सत हुआ तब याद आया
एक उम्र गुजर गई खुद को लिखने मेंहर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
एक उम्र गुजर गई खुद को लिखने में
और तुम एक दिन में पढ़ना चाहते हो।
लोग मतलब की बातें तो समझ जाते हैं
पर बातों का मतलब ही नहीं समझते...।
किनारा न मिले मुझे कोई बात नहींएक न एक दिन हासिल कर ही लूंगा मंजिल
ठोकर जहर तो नही जो खा कर मर ही जाऊंगा।।
एक अदा से शुरू एक अंदाज पे खत्म होती है ।इश्क भी मतलबी है........अब
मुनाफा देख कर पलटी मार जाती है।।
किनारा न मिले मुझे कोई बात नहीं
पर दूसरों को डूबा के मुझे तैरना नही।
एक अदा से शुरू एक अंदाज पे खत्म होती है ।
नजर से शुरू हुई मोहब्बत , नजरंदाज पे खत्म होती है ।।