धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,ये ज़िंदगी भी मुझे सोच कर न रह जाए...
मैं सोचता हूँ बहुत ज़िंदगी के बारे में
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो।
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,ये ज़िंदगी भी मुझे सोच कर न रह जाए...
मैं सोचता हूँ बहुत ज़िंदगी के बारे में
फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता हैधूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो।
फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे हम जिन्हें सहते रहेफासलों ने इतना डराया की
अब जो पकड़ा है उनका हाथ
कभी छोड़ेंगे नहीं हम,
ये एक बार फिर से हमने ली है कसम।