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Chai ☕☕☕

ये चाय भी
कितनी हसीन है
नयी कहानियो को
गढ़ने की मशीन है ...

नये रिश्तो में बाँधती है चाय
वो कभी टूटे रिश्तों को
जोड़ती है चाय
कितने किस्सों से
मिलाती है चाय
कितने किस्सों को
छुपाती है चाय ...

कितने झगड़े
करवाती है चाय
फिर चाय पिलाकर
मनवाती है चाय
टेबल पर बैठ इश्क
फरमाती है चाय ...

कितनो की सुबह आँख
खुलवाती है चाय
कितनों की शाम सुरमई
बनाती है चाय
है कराती गुनगुनी धूप में
सर्दी की कमी का
एहसास है चाय ...

बरसात के दिनो में
पकौड़ी के साथ दोस्ती
निभाती है चाय
रिश्तो के देखने
आती है चाय
कई बार अकेलेपन को
चुराती है चाय ...

हर बार अनजानों को
अपना बनाती है चाय
दिल से दिल को
जोड़ती है चाय
कितने किरदार
निभाती है ये चाय
हर बार नए-नए रूप
बदलती है चाय
बस दिल से दिल
जोड़ती है चाय.......
हो कुछ भी भले ही

साथ छोड़ती नहीं ये चाय...
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कभी मिलो तो सही चाय पे
सुना है मुश्किलें सुलझाती भी है ये चाय...
Bato bato me uljhati BHI he chaye

Chaye nai ye ek nasa he
Jis jis ko iski aadat basa he
Riste jode ya na jode
Dhire dhire jiwan ko toddeti he
Chae nai ye ek jzehr he
Jindagi k liye ek keher he

Sardard ka waja ban jati he chaye
Zehr ban k uske rang me rang jati he che
Kitne maasum he log us ke prem me pade he
Dhire dhire Apni maut k aur bade he
Samjhaye BHI to kaise samjhaye
in aasiko ko
Chaye ki ishq me Jo khud jale he
................................:blah::blah:
 
Last edited:
Bato bato me uljhati BHI he chaye

Chaye nai ye ek nasa he
Jis jis ko iski aadat basa he
Riste jode ya na jode
Dhire dhire jiwan ko toddeti he
Chae nai ye ek jzehr he
Jindagi k liye ek keher he

Sardard ka waja ban jati he chaye
Zehr ban k uske rang me rang jati he che
Kitne maasum he log us ke prem me pade he
Dhire dhire Apni maut k aur bade he
Samjhaye BHI to kaise samjhaye
in aasiko ko
Chaye ki ishq me Jo khud jale he
................................:blah::blah:

बहुत अफरा तफरी है मेरी ज़िन्दगी में,
एक चाय है जो मुझे भटकने नहीं देती।
तुम्हारा कहना है की ये एक जहर है
लेकिन कुछ पल ही सुकून तो देती है।

दुनिया के भूलने के रवैए से वाकिफ हैं
सिरदर्द के बहाने ही याद तो दिलाती है
तलब लग भी गया तो क्या फर्क पड़ता है
लबों से लग के अपनेपन का एहसास दिलाती है
कड़वेपन से भरे आलम में भी
अपने मीठेपन से मिठास दे जाती है।

और कैसे समझाएं तुम्हें कि
इश्क़ सीमित नहीं इंसान तक,
चाय के भी आशिक होते हैं।
 
बहुत अफरा तफरी है मेरी ज़िन्दगी में,
एक चाय है जो मुझे भटकने नहीं देती।
तुम्हारा कहना है की ये एक जहर है
लेकिन कुछ पल ही सुकून तो देती है।

दुनिया के भूलने के रवैए से वाकिफ हैं
सिरदर्द के बहाने ही याद तो दिलाती है
तलब लग भी गया तो क्या फर्क पड़ता है
लबों से लग के अपनेपन का एहसास दिलाती है
कड़वेपन से भरे आलम में भी
अपने मीठेपन से मिठास दे जाती है।

और कैसे समझाएं तुम्हें कि
इश्क़ सीमित नहीं इंसान तक,
चाय के भी आशिक होते हैं।
Jo dill me baith k waar kare uspe itna ghurur kyu
Jindagi ko tar tar kare uspe itna ghurur kyu
Jiski talab ki tarife kar rahe ho Wohi
Jindagi ko aahar kare uspe itna ghurur kyu
Bolo bolo:nerdy:
 
Jo dill me baith k waar kare uspe itna ghurur kyu
Jindagi ko tar tar kare uspe itna ghurur kyu
Jiski talab ki tarife kar rahe ho Wohi
Jindagi ko aahar kare uspe itna ghurur kyu
Bolo bolo:nerdy:
गुरुर क्यों न हो हमें अपनी चाहत पर
साथ तब तक नहीं छोड़ेगी जब तक हम हैं
 
Chahat usi ki rakho Jo jiwan de na ki much pal ki khusi
चलो माना खुशी की चाहत रखते हैं
क्या वो दे पाओगे...

पुरुष का कँधा और
स्त्री की गोद वो
सुकून भरा सिरहाना है.
जहाँ उन दोनों कि न जाने
कितनी परेशानियाँ,

बेचैनियाँ विश्राम लेती हैं..
 
चलो माना खुशी की चाहत रखते हैं
क्या वो दे पाओगे...

पुरुष का कँधा और
स्त्री की गोद वो
सुकून भरा सिरहाना है.
जहाँ उन दोनों कि न जाने
कितनी परेशानियाँ,

बेचैनियाँ विश्राम लेती हैं..
Ye tapaswi ki khwaise bhi Kya Kya he , kabi bolta himalaye jasunga kabhi bolta god chair , it a confuse Kyu :wait:
 
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