Hame nhi lagta ki apke jaise ladko ko yah samjhanee ki zaroorat hai ki hum log kya hai...(सुनो लड़कियों ये तुम्हारे लिए, तुम्हारी ही भावना)
सुनो....
अगर मैं तुमसे नाराज़ हूं,
तो इसका मतलब ये हरगिज नही,
कि मेरी आदत खराब है,
या फिर मुझे,
तुमको खोने का कोई डर ही नही,
क्योंकि डर लगता है तुम्हे खोने से,
इसीलिए थोड़ी दूरी भी बनाए रखती हूं,
कि कहीं मेरी ही नजर न लग जाए,
अपने इस एहसास को,इस रिश्ते को,
हां मै तुमसे रूठती हूं,
क्योंकि.....
यहां मैं रूठने का अधिकार रखती हूं,
तुम पर हक है मेरा बस वो जताती हूं,
वर्ना मैं कौन सा दुनिया से,
रूठती,लड़ती फिरती हूं,
तुम तो जानते ही हो,
कि मुझे ज्यादा रिश्ते बनाने पसंद नही,
और न ही कोई जरूरत,
इसलिए जो मेरे नही है,
उनसे काहे का रूठना,
तो बस बचे तुम ही तुम,
जिसपर पूर्ण अधिकार है मेरा,
इसीलिए तुम्हारी छोटी से छोटी बात,
बहुत मायने रखती है मेरे लिए,
तुमसे तुम्हारे होने से बहुत फर्क पड़ता है,
मेरी जिंदगी में ..
तो तुमसे नाराज़ होकर भी,
तुमसे दूर नहीं जा सकती,
हां मगर मेरी थोड़ी सी आदत खराब है,
वो ये कि मनाना तो तुम्हे ही पड़ेगा,
क्योंकि मैं तो रूठी हूं
जब तक सामने वाला सॉरी न कह दे,
तब तक माफ़ करना,
मेरे खुद के बस में भी नही होता
कभी कभी छोटी छोटी सी,
ऐसी नोंक झोंक में कितना सुकून मिलता है,
जब सामने वाला बिना गलती के भी,
सॉरी कहने को हमेशा तैयार रहे,
जहां,जिन रिश्तों में ego नाम की,
कोई जगह ही न हो....!
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