सुनो...
तुम भुला देना बेशक मुझको,
अगर तुमको तकलीफ़ दे मेरा होना
तुम अपने ज़हन के हर कोने से,
निकाल फेंकना मेरी बिखरी यादें,
वो हर जगह जहां मैं तुमको दिखाई दूं,
जहां मेरी आवाजें गुंजायमान हों,
तुम लौटकर मत जाना उस जगह फिर कभी,
तुम मुड़ जाना उस रास्ते से,
जिस राह में मेरा मिलना संभव हो,
ना बहाना वो आंसू कभी,
जिस पर लिखा होगा नाम मेरा,
नहीं तुम पर कोई बंदिश मेरी,
तुम जीना सिर्फ अपने लिए,
तुम आज़ाद हो मुझे भुलाने के लिए,
खुद को मुझ से अलग करने के लिए,
प्रेम बांधने का नाम नही ,
प्रेम तो त्याग का स्वरूप है..!
ख़ैर....
तुम भुला देना बेशक मुझको,
अगर तुमको तकलीफ़ दे मेरा होना
तुम अपने ज़हन के हर कोने से,
निकाल फेंकना मेरी बिखरी यादें,
वो हर जगह जहां मैं तुमको दिखाई दूं,
जहां मेरी आवाजें गुंजायमान हों,
तुम लौटकर मत जाना उस जगह फिर कभी,
तुम मुड़ जाना उस रास्ते से,
जिस राह में मेरा मिलना संभव हो,
ना बहाना वो आंसू कभी,
जिस पर लिखा होगा नाम मेरा,
नहीं तुम पर कोई बंदिश मेरी,
तुम जीना सिर्फ अपने लिए,
तुम आज़ाद हो मुझे भुलाने के लिए,
खुद को मुझ से अलग करने के लिए,
प्रेम बांधने का नाम नही ,
प्रेम तो त्याग का स्वरूप है..!
ख़ैर....