जब धुप से जलने लगती हु तब
तेरी आँचल की याद आती हैं माँ
अपनी आंखो से उतार के जो लगाती
थी उस काजल की याद आती हैं माँ
भीगी इन बालो को जब देखती हु
तों उस सावन की याद आती हैं माँ
जब झुमने लगते है ये पायल तब
तेरी आँगन की याद आती हैँ मा
जब आखो से बरसने लगती हैँ बर्षादे
तब तेरी दामन की याद आती हैं माँ
उनकी ममताओं मे पलि
उनकी अचल की छाओमे बड़ी
फिर होगई बेटियां पराई
जब वो डोली मे चढ़ी
तेरी आँचल की याद आती हैं माँ
अपनी आंखो से उतार के जो लगाती
थी उस काजल की याद आती हैं माँ
भीगी इन बालो को जब देखती हु
तों उस सावन की याद आती हैं माँ
जब झुमने लगते है ये पायल तब
तेरी आँगन की याद आती हैँ मा
जब आखो से बरसने लगती हैँ बर्षादे
तब तेरी दामन की याद आती हैं माँ
उनकी ममताओं मे पलि
उनकी अचल की छाओमे बड़ी
फिर होगई बेटियां पराई
जब वो डोली मे चढ़ी
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