Pahre achchi chijon pe hi lagaye jate hainAajkal maasumiyata pe BHI pehere lagne lagi he
Lagta he logo me jyada samajhdari ka chaadar badhne lagi he
Buri chij jo dur ho jaye to usse achchi baat phir kya
Pahre achchi chijon pe hi lagaye jate hainAajkal maasumiyata pe BHI pehere lagne lagi he
Lagta he logo me jyada samajhdari ka chaadar badhne lagi he
Bde hone ke aalam meBachpan gaya ab is khel me Thode kache ho rahe he
Ham Kya bade hogaye sara jamane Bache ho rahe he
Nare na kabhi na pehre ho says gehreBde hone ke aalam me
Khud ko mt kho dena
Dil ki baatein hain ye sab
Thoda bachpane ko bhi rhne dena
Very goodNare na kabhi na pehre ho says gehre
Hamara masumiyat in sab se pehle he
Jaise ki Kya jarurat usse bilkul alag hatke seहजारों चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको
पर दिल भी ज़िद पे अड़ा था
कि अगर वो नहीं
तो उसके जैसा भी नहीं...!!!!
Bilkul nhi..Jaise ki Kya jarurat usse bilkul alag hatke se
Chalega na bolo bolo
Baaki to sab thik he par aansu kyuकुछ ख़्वाब, कुछ आसूं ,
कुछ अरमान, कुछ मुस्कान,
सुनो....
तुम जब भी आओ तो साथ लेते आना..!!
किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है ?हजारों चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको
पर दिल भी ज़िद पे अड़ा था
कि अगर वो नहीं
तो उसके जैसा भी नहीं...!!!!
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलेंएक दूसरे की तरह
होना जरूरी नहीं है
एक दूसरे के लिए
होना जरूरी है...!!!
कभी पिघलेंगे पत्थर भी, मोहब्बत की तपिश पाकर,मेरे लिए सुकून का मतलब
तुम्हारा वो थोड़ा सा वक्त है..
जो मेरे लिए है...!!!
टूट कर बिखर जाते हैं वो लोग दीवारों की तरहआप जब सामने से गुजर जाते हैं अरमान दिल के उभर जाते है,
देख कर आपकी प्यारी सूरत सहमे हुए फूल भी निखार जाते हैं!
मुझे मंजू़र थे वक़्त के सब सितम मगरजब खामोश आँखों से बात होती है,
तो ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तेरे ही ख्यालों में खोये रहते हैं,
न जाने कब दिन और कब रात होती है!
जीतने का न कोई शौक़ न तौफ़ीक़ हमेंमाना कि तुम जीते हो ज़माने के लिये,
एक बार जी के तो देखो हमारे लिये,
दिल की क्या औकात आपके सामने,
हम जान दे देंगे आपको पाने के लिये!
वक्त खुशी का हो या फिर दुख काBaaki to sab thik he par aansu kyu
Tufaan aayega phir to"जब मेरी दिल की दुआ में तुम हो
तो मेरी फरियाद मे भला कौन आएगा"
अपने रूठें, पराए रूठें, यार रूठे नातुम रूठना तो ऐसे रूठना
जैसे माँ रूठती है..
माँ मेरी सुबह की बात
शाम को भूल जाती है...!!!