आंखों के सवाल में ज़िंदा, मैं भी हूं और तू भी है
अपने फक्कड़ हाल में ज़िंदा, मैं भी हूं और तू भी है।
उड़ने को निकले थे घर से, सारी दुनिया छूने को
पत्थर खा जो गिरा परिंदा, मैं भी हूं और तू भी है।
सारी कसमें, सारे वादे, वक्त के आगे चूर हुए
नज़रों में खुद की शर्मिन्दा, मैं भी हूं और तू भी है।
जिन...