#प्रेम
वो प्रेम ही क्या जिसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए आपको हर पल प्रयासरत रहना पड़े....
प्रेम effortless होना चाहिए... सहज, सरल.. किसी तरल पदार्थ सा बहता हुआ जिधर बहाव ले जाएं... प्रेम में कोशिश नहीं होनी चाहिए..
कभी साथी रूठ जाए तो उसे मनाने की कोशिश...... कभी साथी उदास हो तो उसे हंसाने की कोशिश...
कभी अपनी बात या इच्छा मनवाने की कोशिश.... कभी आप से कोई गलती हो जाऐ तो sorry, Borry कह कर बिगड़ी बात बनाने की कोशिश.. और तो और
कभी जो वो बेवजह ही चुप्पी ओढ़ ले बात बात पर चिढ़ने लगे तो ये जानने की कोशिश कि इतना सब ध्यान में रखते रखते भी आखिर आपसे चूक कहाँ हो गयी ये कैसा प्रेम है जो आपके efforts के ventilator पर जिंदा है... ? और जिस दिन ये efforts न रहे प्रेम भी न रहेगा?
ये प्रेम नहीं ये contract भर है जिसमें आपको केवल इजाजत भर है किसी को प्रेम करते रहने की वो भी इस शर्त पर कि कोशिश जारी रहनी चाहिए.....
कोशिशें खत्म प्रेम खत्म....
वो प्रेम ही क्या जिसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए आपको हर पल प्रयासरत रहना पड़े....
प्रेम effortless होना चाहिए... सहज, सरल.. किसी तरल पदार्थ सा बहता हुआ जिधर बहाव ले जाएं... प्रेम में कोशिश नहीं होनी चाहिए..
कभी साथी रूठ जाए तो उसे मनाने की कोशिश...... कभी साथी उदास हो तो उसे हंसाने की कोशिश...
कभी अपनी बात या इच्छा मनवाने की कोशिश.... कभी आप से कोई गलती हो जाऐ तो sorry, Borry कह कर बिगड़ी बात बनाने की कोशिश.. और तो और
कभी जो वो बेवजह ही चुप्पी ओढ़ ले बात बात पर चिढ़ने लगे तो ये जानने की कोशिश कि इतना सब ध्यान में रखते रखते भी आखिर आपसे चूक कहाँ हो गयी ये कैसा प्रेम है जो आपके efforts के ventilator पर जिंदा है... ? और जिस दिन ये efforts न रहे प्रेम भी न रहेगा?
ये प्रेम नहीं ये contract भर है जिसमें आपको केवल इजाजत भर है किसी को प्रेम करते रहने की वो भी इस शर्त पर कि कोशिश जारी रहनी चाहिए.....
कोशिशें खत्म प्रेम खत्म....