भले ही मेरी नाराजगी की वजह तुम हो,. मगर फिर भी दिखते हर जगह तुम हो,. नहीं पता ये नशा है मोहब्बत का या खुमारी, ....
बयां कैसे करूँ दिल में कितनी दफा तुम हो,....
मनाने को तुम्हें इस कदर तरसते हैं हम,.. लगता है हर वक्त मुझसे खफा तुम हो.., बदलू कैसे अपना शौके मिजाज तुम्हें देखने का,.......
मेरा तो हर शौक मेरी हर अदा तुम हो,
मेरे हर गम में मैंने तुम्हारी आँखों में देखी है नमी, ..........
कैसे जमाने के कहने से कह दूँ कि वेवफा तुम हो, .......
हम यही सोचकर गुनाह कर जाते हैं अक्सर, ......
मेरी बेकुसूरी साबित करने के लिए गवाह तुम हो,..
बयां कैसे करूँ दिल में कितनी दफा तुम हो,....
मनाने को तुम्हें इस कदर तरसते हैं हम,.. लगता है हर वक्त मुझसे खफा तुम हो.., बदलू कैसे अपना शौके मिजाज तुम्हें देखने का,.......
मेरा तो हर शौक मेरी हर अदा तुम हो,
मेरे हर गम में मैंने तुम्हारी आँखों में देखी है नमी, ..........
कैसे जमाने के कहने से कह दूँ कि वेवफा तुम हो, .......
हम यही सोचकर गुनाह कर जाते हैं अक्सर, ......
मेरी बेकुसूरी साबित करने के लिए गवाह तुम हो,..