Thank you dost
Wahh very very niceफ़िक्र इन आंखों में परिवार का रहता है
आजकल इंतजार रविवार का रहता है।
जरुरते ना हो जाए कहीं कमाई से महंगी
ज़िक्र चाय के साथ अखबार का रहता है।
लग ना जाए कहीं मुस्कुराने पर भी टैक्स
डर इस बदलती सरकार का रहता है।
दिला दे मुझे एक लंबी छुट्टी इस काम से
इंतजार किसी एक ऐसे तार का रहता है
जख्मी नहीं होता अब मैं खंजरों के वार से
बोझ हर दिन दिल पर तलवार का रहता है।
सह लेता हूं भली बूरी हर बात खमोशी से
कर्ज मुझ पर मेरे संस्कार का रहता है।
कहा गवाता जा रहा है खुद को भागदौड़ में
सवाल चेहरे पर पड़ी दरार का रहता है।
कमा लू मैं लाख अपना ईमान बेचकर
फिर वजूद कहा मेरे किरदार का रहता है।
Nicethank you guruji View attachment 122002View attachment 122002
Wahh kya baat hai
Really true very nice somu