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Poetry

यादों के बनके मौसम तुम भी चले आना
रिमझिम बरसती बारिश तुम भी ले आना

पग बाँधकर घुंघरू ये हवायें नाचतीं हैं
बहारे छन -छन बरसात तुम भी ले आना

दिन-रात आ रहीं हैं तेरी याद हिचकियाँ हैं
यादों के लम्हें लेकर तुम भी चले आना

ये इश्क खुमारी है ले रात गुजारी है सनम
बन इन्द्रधनुषी रंग इश्क तुम भी ले आना

घनघोर घटा छायीं मौसम ले अंगड़ाई
इश्क़ मुसाफिर हूं यारों तुम भी ले आना

ये अश्क सज गयें हैं सावन की बन के बूंदे
रूखसार जुल्फें ज़रा शाम तुम भी ले आना

दिन रात जल उठें हैं ये सायेँ चरागो के
ख़ूबसूरत जिंदगी लम्हात तुम भी ले आना।।।
क्या भरोसा बदलते मौसम का
रंग कल कुछ था आज और है कुछ
 
यादों के बनके मौसम तुम भी चले आना
रिमझिम बरसती बारिश तुम भी ले आना

पग बाँधकर घुंघरू ये हवायें नाचतीं हैं
बहारे छन -छन बरसात तुम भी ले आना

दिन-रात आ रहीं हैं तेरी याद हिचकियाँ हैं
यादों के लम्हें लेकर तुम भी चले आना

ये इश्क खुमारी है ले रात गुजारी है सनम
बन इन्द्रधनुषी रंग इश्क तुम भी ले आना

घनघोर घटा छायीं मौसम ले अंगड़ाई
इश्क़ मुसाफिर हूं यारों तुम भी ले आना

ये अश्क सज गयें हैं सावन की बन के बूंदे
रूखसार जुल्फें ज़रा शाम तुम भी ले आना

दिन रात जल उठें हैं ये सायेँ चरागो के
ख़ूबसूरत जिंदगी लम्हात तुम भी ले आना।।।
मिरे मिज़ाज का मौसम अजीब मौसम है
कि जिस के ग़म ने भी हस्ती को रौनक़ें दी हैं
 


आज नदी बिल्कुल उदास थी,
सोई थी अपने पानी में,
उसके दर्पण पर
बादल का वस्त्र पड़ा था।
मैंने उसको नहीं जगाया,
दबे पाँव घर वापस आया।

Taal-ki-nadi-Jakholai-Oct-.jpg
 


आज नदी बिल्कुल उदास थी,
सोई थी अपने पानी में,
उसके दर्पण पर
बादल का वस्त्र पड़ा था।
मैंने उसको नहीं जगाया,
दबे पाँव घर वापस आया।

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