चलो आज कुछ अल्फाज़ लिखती हूँ
उन अल्फाज़ों में अपने जज्बात लिखती हूँ...
पता नहीं किस मोड़ पर वो मिला था
तभी से सिल सिला शुरू हुआ था
पहले नापसन्द था उसका कोई भी इशारा
लेकिन वक्त का खेल देखा था सारा
उसकी आँखों ने कुछ जादू किया था
मेरा चैन और दिल ले गया था
पर उसके लिए था ये बस एक खेल
उसका तो था किसी और के साथ मेल
दिल टूटा मेरा, रोयी थी उस रात में
भीगी थी उस दिन आंसुओ की बरसात में
उसके लिए था ये सब बेकार
इसी गम ने कर दिया मुझे जार - ज़ार
बरबाद खुद को करती रही
इंतज़ार उसका करती रही
लेकिन जाने वाले लौट के कहा आते हैं
उसकी बेरूखी दिल पे केहर ढहाती है
अपने आत्म सम्मान धज्जिया उडा रही थी
उसके लौट के भ्रम में फंसती जा रही थी
दिन रात याद करके उसको
पता चला खोती जा रही हूँ खुद को
लौट कर नहीं आएगा वो अब है यक़ीन
अब ये दिल अब और नहीं गमगीन
अब वो सब पाना है जो खोया था मैंने
उसे पाने को चाहत मे
अब समय है उस काली रात अंत करू
एक नया सवेरा आए , एक नई शुरुआत करु
और भरू उड़न उस अनंत आकाश में
प्यार न मिला तो क्या अपने सपने साकार करु
मैं खुश हूं , रहु और अपनी जिंदगी आबाद करु
और अपने आप का पुन: सम्मान करू
This time, let me let you go. I have cried enough.I won't degrade me anymore. I have realized my strength. You have made me strong. I just wanted this acceptance that no matter what, you won't come back. I don't want you to come back. I have wasted my precious years accepting this fact.
Its time to say you GOOD BYE Forever..
You have no idea of the damage and trauma you have given me, but tumse mila hai toh inam hai mera. I will proudly keep this as my trophy. Dil tuta nahi ab juda hai, phir nahi tutega..
Tum jaha raho khush raho bas yahi dua karungi...