कभी हम भी खास थे किसी के लिए,
फिर यूं हुए कि आम भी न रहे
फिर यूं हुए कि आम भी न रहे
कभी हम भी खास थे किसी के लिए,
फिर यूं हुए कि आम भी न रहे
"जिसे चाहा वो कभी अपना न हो सका,
हर बार दिल टूटा पर सबक न हो सका।
अब तो अफ़सोस भी नहीं होता,
शायद अब दर्द से भी रिश्ता हो गया है।"
"वक़्त रहते जो समझ जाते इशारों को,
तो आज यूं तन्हा न होते यादों के सहारों को।"