बात मेरी ये..... मानोगे क्या?
(एक विवाहित स्त्री का अपने पति से बहुत ही खूबसूरत प्रणय निवेदन या फिर इच्छा भी कह सकते हैं)
देखो.....जब जब घर से जाना तुम
दो पल को ही पर...रुक जाना तुम
मुड़ कर देख लेना....मुझे एक बार
फिर देखकर मुझको मुस्काना तुम
भर लेना....अपनी बाहों में मुझको
क्या चाहे है मन मेरा..जानोगे क्या
बात मेरी ये..............मनोगे क्या?
जब-जब टकराएँ आंखें.....आंखों से
कहना चाहूं मै......जब बातों बातों में
अपनी नज़रें......... फेर ना लेना तुम
सम्मान इन्हें..........सदा ही देना तुम
पढ़ लेना......आंखों की हर खामोशी
क्या चाहें है आंखें मेरी...जानोगे क्या
बात मेरी ये..................मनोगे क्या?
घेरे रहते हैं मुझको तेरे एहसास घनेरे
प्यार से रूह को मेरी......छू लेना तुम
बाहों से बाहों का..आलिंगन देना तुम
देना अपना स्पर्श सदा मेरी तन्हाई को
क्या चाहे है तन्हाई मेरी...जानोगे क्या
बात मेरी ये...................मनोगे क्या?
जब-जब बरसे ये......रिमझिम सावन
भीगी भीगी.........धरा लगे मनभावन
राहतें बन मुझ पर.....बरस जाना तुम
तन मन को मेरे........भिगा जाना तुम
हर सावन में........हम तुम संग भीगेंगे
क्या चाहे है सावन मेरा....जानोगे क्या
बात मेरी ये....................मनोगे क्या?
देखो तुम बिन मेरा हर सिंगार अधूरा है
बिन तेरे अब जीवन कहां ये मेरा पूरा है
बनकर सिंदूर मांग मेरी.....सजाना तुम
बिंदिया बनकर माथे पर....इतराना तुम
भर देना जीवन को.......खुशियों से मेरे
क्या चाहे है जीवन मेरा... .जानोगे क्या
बात मेरी ये....................मनोगे क्या?
बात मेरी ये....................मनोगे क्या?
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(एक विवाहित स्त्री का अपने पति से बहुत ही खूबसूरत प्रणय निवेदन या फिर इच्छा भी कह सकते हैं)
देखो.....जब जब घर से जाना तुम
दो पल को ही पर...रुक जाना तुम
मुड़ कर देख लेना....मुझे एक बार
फिर देखकर मुझको मुस्काना तुम
भर लेना....अपनी बाहों में मुझको
क्या चाहे है मन मेरा..जानोगे क्या
बात मेरी ये..............मनोगे क्या?
जब-जब टकराएँ आंखें.....आंखों से
कहना चाहूं मै......जब बातों बातों में
अपनी नज़रें......... फेर ना लेना तुम
सम्मान इन्हें..........सदा ही देना तुम
पढ़ लेना......आंखों की हर खामोशी
क्या चाहें है आंखें मेरी...जानोगे क्या
बात मेरी ये..................मनोगे क्या?
जब-जब आते हो तन्हाई में पास मेरे घेरे रहते हैं मुझको तेरे एहसास घनेरे
प्यार से रूह को मेरी......छू लेना तुम
बाहों से बाहों का..आलिंगन देना तुम
देना अपना स्पर्श सदा मेरी तन्हाई को
क्या चाहे है तन्हाई मेरी...जानोगे क्या
बात मेरी ये...................मनोगे क्या?
जब-जब बरसे ये......रिमझिम सावन
भीगी भीगी.........धरा लगे मनभावन
राहतें बन मुझ पर.....बरस जाना तुम
तन मन को मेरे........भिगा जाना तुम
हर सावन में........हम तुम संग भीगेंगे
क्या चाहे है सावन मेरा....जानोगे क्या
बात मेरी ये....................मनोगे क्या?
देखो तुम बिन मेरा हर सिंगार अधूरा है
बिन तेरे अब जीवन कहां ये मेरा पूरा है
बनकर सिंदूर मांग मेरी.....सजाना तुम
बिंदिया बनकर माथे पर....इतराना तुम
भर देना जीवन को.......खुशियों से मेरे
क्या चाहे है जीवन मेरा... .जानोगे क्या
बात मेरी ये....................मनोगे क्या?
बात मेरी ये....................मनोगे क्या?
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