एक ख्वाब और बुनो ,
इस बार उसपे कोई नई राह चुनो ,
चुनो उसे, जो डगर मगर लुकी हो ,
बरसो से कुछ केहना चाहती हो,
और अरसो से दिल में छुपी हो ,
चलो उनके नन्हें कदमों के सहारे ,
फिर उन लड़खाते पैरो को सम्हालो ,
जब वो चलने लगे ,
तब उन कदमों को उस खुले आसमान में उतारो ,
यार कहानी तुम्हारी हैं ,
इसमें कोई और सवारी थोड़ी हैं ,
तो उतारो और होले होले कुछ आगे चलो ,
चलते चलते गुनगुनाओ और कुछ नई धुन बनाओ ,
उड़ान भरने दो उम्मीदों को ,
गुमनाम शहरो के खोए शोर में ,
ढूंढो खोई लहरों को ,
अपनी खोई मजधार में ,
उतारो कदमों को फलक पर ,
और
जानें दो उस गुलाबी आसमां के परे ,
उसी रंगीन आसमां पर
जहां कभी कई सपने बसाए थे ,
वो आसमां
जहां रोते रोते कई सपने सबसे छुपाए थे ,
किसी उजाले में सिमटे अंधेरों के अंदर ,
तो अब सम्हालो खुद को ,
और बढ़ाओ सपनो की अकीदत को
और पा लो दोबारा खुद में खुद के सपने को
कविता उतनी अच्छी तो नहीं है आशा करता हूं आपका समय खराब न किया हो इस बचकानी कविता ने
इस बार उसपे कोई नई राह चुनो ,
चुनो उसे, जो डगर मगर लुकी हो ,
बरसो से कुछ केहना चाहती हो,
और अरसो से दिल में छुपी हो ,
चलो उनके नन्हें कदमों के सहारे ,
फिर उन लड़खाते पैरो को सम्हालो ,
जब वो चलने लगे ,
तब उन कदमों को उस खुले आसमान में उतारो ,
यार कहानी तुम्हारी हैं ,
इसमें कोई और सवारी थोड़ी हैं ,
तो उतारो और होले होले कुछ आगे चलो ,
चलते चलते गुनगुनाओ और कुछ नई धुन बनाओ ,
उड़ान भरने दो उम्मीदों को ,
गुमनाम शहरो के खोए शोर में ,
ढूंढो खोई लहरों को ,
अपनी खोई मजधार में ,
उतारो कदमों को फलक पर ,
और
जानें दो उस गुलाबी आसमां के परे ,
उसी रंगीन आसमां पर
जहां कभी कई सपने बसाए थे ,
वो आसमां
जहां रोते रोते कई सपने सबसे छुपाए थे ,
किसी उजाले में सिमटे अंधेरों के अंदर ,
तो अब सम्हालो खुद को ,
और बढ़ाओ सपनो की अकीदत को
और पा लो दोबारा खुद में खुद के सपने को
कविता उतनी अच्छी तो नहीं है आशा करता हूं आपका समय खराब न किया हो इस बचकानी कविता ने