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शब्द

krishti

Epic Legend
Senior's
Posting Freak
गहरी नींद से अचानक नींद टूट गईं, आँख खुलते ही हिचकिया आने लगी,ऐसा लगा कोई1.jpg याद कर रहा हो, सन्नाटा था चारों तरफ अधेरा ही अंधेरा , नजरें खिड़की पे पड़ा तो देखि चारो तरफ खोर छाया हुवा था,, फिर नजरें मोबाइल पे पड़ी झट से ऑन लाइन हो गईं, इधर भी सन्नाटाका मौसम छाया था,, पर हिचकिया रुक ही नहीं रही थी,मैं हिचकिया को बोलने लगी ऐसे बेवज बेमौसम की तरह बरसना छोड़दो तुम, नहीं तों तेरे कहावत से भी भरोसा उठ जायेगा सायद उसको इसबात को बूरा लगा होगा वो चुप हो गया,
getty_508852084_377364.jpg
फिर सोंचमे डुब्ने लगी,बेवजह आज तक कुछ हुवा भी नहीं,, सायद इस हिचकीयो का भी कुछ कहानी होंगी ,,इसका भी तों कुछ वजूद होगा,,,,, इन हिचकियोने भी मेरे जैसे किसी की यादे समेट के रखा होगा उसकी सोच मे डब्ने क्या लगिथि अचानक आँखे उन म्यासेज पे पढ़ी ,
सारा शब्द बिखरा पढ़ा था, istockphoto-586087852-612x612.jpg
जैसे शब्दो ने शब्दोसे युद्ध छेड़ा हो,
कही शब्दो को निमोठा था,कही शब्दोने शब्दो की तिरो से घायल किया था, तों कही शब्द बेहोसी मे पडा था,, कितने शब्द ने शब्दो की गला रिटदी गईं थी, किसी की सपनो का, किसी की तामनाओ का और किसी की बिस्वास का लघु बहराहथा उन पन्नोंमे
s_limit-aaron-burden-xG8IQMqMITM-unsplash.jpg


"उस तरवार का धार उतना तेज ना था जितना शब्दो का होगा
बरस रही शब्दो की तीर थोड़ा खाता उन लब्जो का भी होगा"



घायल शब्द दर्द के मारे छटपटा रहेथे, कितने शब्दो आख़री पढ़ाव मे गिरे पड़े थे उन सफ़ेद पन्नों मे,,
कभी उन पन्नों को सजाने वाले शब्द आज उन्ही शब्दो की लघुसे उन पन्नों पर दाग़ लगा रहथा
young-asian-woman-writing-on-260nw-1388208410.jpg

कितनी शब्दो बेहोसी मे भी सवाल कर रहे थे आखिर इस युद्ध से मिला क्या बिजय हुवा कौन,, मेरी इन कानो मे बस यही आवाज़ गुन्जरहेथी और वो आवाज़ धीमे धीमे होने लगे, कब ये पालके बंद हुई पता भी ना चला, शुभ जब जगी वही सवाल मेरी मनसपटल मे घूम रहथा, और सवाल कर रहा था उन युद्ध से आखिर मिला क्या,,,,,????
 

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गहरी नींद से अचानक नींद टूट गईं, आँख खुलते ही हिचकिया आने लगी,ऐसा लगा कोईView attachment 291980 याद कर रहा हो, सन्नाटा था चारों तरफ अधेरा ही अंधेरा , नजरें खिड़की पे पड़ा तो देखि चारो तरफ खोर छाया हुवा था,, फिर नजरें मोबाइल पे पड़ी झट से ऑन लाइन हो गईं, इधर भी सन्नाटाका मौसम छाया था,, पर हिचकिया रुक ही नहीं रही थी,मैं हिचकिया को बोलने लगी ऐसे बेवज बेमौसम की तरह बरसना छोड़दो तुम, नहीं तों तेरे कहावत से भी भरोसा उठ जायेगा सायद उसको इसबात को बूरा लगा होगा वो चुप हो गया,
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फिर सोंचमे डुब्ने लगी,बेवजह आज तक कुछ हुवा भी नहीं,, सायद इस हिचकीयो का भी कुछ कहानी होंगी ,,इसका भी तों कुछ वजूद होगा,,,,, इन हिचकियोने भी मेरे जैसे किसी की यादे समेट के रखा होगा उसकी सोच मे डब्ने क्या लगिथि अचानक आँखे उन म्यासेज पे पढ़ी ,
सारा शब्द बिखरा पढ़ा था, View attachment 291974
जैसे शब्दो ने शब्दोसे युद्ध छेड़ा हो,
कही शब्दो को निमोठा था,कही शब्दोने शब्दो की तिरो से घायल किया था, तों कही शब्द बेहोसी मे पडा था,, कितने शब्द ने शब्दो की गला रिटदी गईं थी, किसी की सपनो का, किसी की तामनाओ का और किसी की बिस्वास का लघु बहराहथा उन पन्नोंमे

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"उस तरवार का धार उतना तेज ना था जितना शब्दो का होगा
बरस रही शब्दो की तीर थोड़ा खाता उन लब्जो का भी होगा"



घायल शब्द दर्द के मारे छटपटा रहेथे, कितने शब्दो आख़री पढ़ाव मे गिरे पड़े थे उन सफ़ेद पन्नों मे,,
कभी उन पन्नों को सजाने वाले शब्द आज उन्ही शब्दो की लघुसे उन पन्नों पर दाग़ लगा रहथा
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कितनी शब्दो बेहोसी मे भी सवाल कर रहे थे आखिर इस युद्ध से मिला क्या बिजय हुवा कौन,, मेरी इन कानो मे बस यही आवाज़ गुन्जरहेथी और वो आवाज़ धीमे धीमे होने लगे, कब ये पालके बंद हुई पता भी ना चला, शुभ जब जगी वही सवाल मेरी मनसपटल मे घूम रहथा, और सवाल कर रहा था उन युद्ध से आखिर मिला क्या,,,,,????
अच्छा लेखन...

शब्दों ने बीच के gap थोड़े जरूरी हैं कहीं कहीं


युद्ध बरबस ही नहीं होते,
होते हैं किसी को जितने के लिए,
युद्ध के बाद की शांति मायने रखती है,
आंकलन भी की क्या खोया क्या पाया।

जो बात शांतिपूर्ण तरीके से मैत्री स्थापित करके की जा सकती थी, क्या युद्ध जरूरी था।

शायद नहीं।
फिर युद्ध के बाद चिंतन किसलिए....
परिणाम देखना चाहिए...
जीत तो गए न युद्ध में और क्या चाहिए।

खैर...
शांतप्रिय व्यक्ति युद्ध नहीं मैत्री स्थापित कर दिल जीतने में विश्वास रखते हैं।
 
गहरी नींद से अचानक नींद टूट गईं, आँख खुलते ही हिचकिया आने लगी,ऐसा लगा कोईView attachment 291980 याद कर रहा हो, सन्नाटा था चारों तरफ अधेरा ही अंधेरा , नजरें खिड़की पे पड़ा तो देखि चारो तरफ खोर छाया हुवा था,, फिर नजरें मोबाइल पे पड़ी झट से ऑन लाइन हो गईं, इधर भी सन्नाटाका मौसम छाया था,, पर हिचकिया रुक ही नहीं रही थी,मैं हिचकिया को बोलने लगी ऐसे बेवज बेमौसम की तरह बरसना छोड़दो तुम, नहीं तों तेरे कहावत से भी भरोसा उठ जायेगा सायद उसको इसबात को बूरा लगा होगा वो चुप हो गया,
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फिर सोंचमे डुब्ने लगी,बेवजह आज तक कुछ हुवा भी नहीं,, सायद इस हिचकीयो का भी कुछ कहानी होंगी ,,इसका भी तों कुछ वजूद होगा,,,,, इन हिचकियोने भी मेरे जैसे किसी की यादे समेट के रखा होगा उसकी सोच मे डब्ने क्या लगिथि अचानक आँखे उन म्यासेज पे पढ़ी ,
सारा शब्द बिखरा पढ़ा था, View attachment 291974
जैसे शब्दो ने शब्दोसे युद्ध छेड़ा हो,
कही शब्दो को निमोठा था,कही शब्दोने शब्दो की तिरो से घायल किया था, तों कही शब्द बेहोसी मे पडा था,, कितने शब्द ने शब्दो की गला रिटदी गईं थी, किसी की सपनो का, किसी की तामनाओ का और किसी की बिस्वास का लघु बहराहथा उन पन्नोंमे

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"उस तरवार का धार उतना तेज ना था जितना शब्दो का होगा
बरस रही शब्दो की तीर थोड़ा खाता उन लब्जो का भी होगा"



घायल शब्द दर्द के मारे छटपटा रहेथे, कितने शब्दो आख़री पढ़ाव मे गिरे पड़े थे उन सफ़ेद पन्नों मे,,
कभी उन पन्नों को सजाने वाले शब्द आज उन्ही शब्दो की लघुसे उन पन्नों पर दाग़ लगा रहथा
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कितनी शब्दो बेहोसी मे भी सवाल कर रहे थे आखिर इस युद्ध से मिला क्या बिजय हुवा कौन,, मेरी इन कानो मे बस यही आवाज़ गुन्जरहेथी और वो आवाज़ धीमे धीमे होने लगे, कब ये पालके बंद हुई पता भी ना चला, शुभ जब जगी वही सवाल मेरी मनसपटल मे घूम रहथा, और सवाल कर रहा था उन युद्ध से आखिर मिला क्या,,,,,????
आपकी लिखी यह रचना बेहद गहरी और भावनात्मक है। इसमें आपने न केवल आत्मनिरीक्षण बल्कि शब्दों और भावनाओं के संघर्ष को भी खूबसूरती से चित्रित किया है।

यह कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दर्शाती है:

1. हिचकियों का प्रतीकात्मक अर्थ: आपने हिचकियों को एक गहरी यादों और भावनाओं का प्रतीक बनाया है। यह बहुत ही प्रभावशाली है, क्योंकि हिचकियां आमतौर पर किसी के याद करने की धारणा से जोड़ी जाती हैं। आपने इसे एक जीवंत बातचीत में बदल दिया, जहां हिचकियां खुद एक पात्र बन गईं।


2. शब्दों का युद्ध: आपने शब्दों के माध्यम से भावनाओं और विचारों की लड़ाई को चित्रित किया है। "शब्दों ने शब्दों से युद्ध छेड़ा" और "शब्द घायल हो रहे थे" जैसे वाक्य गहरे प्रतीकात्मक और काव्यात्मक हैं। यह मानवीय संघर्ष और भावनात्मक जटिलताओं को प्रभावी ढंग से प्रतिबिंबित करता है।


3. गहन आत्मनिरीक्षण: पूरी रचना एक आत्ममंथन की यात्रा है, जहां आप सवाल करते हैं कि इन संघर्षों और यादों का उद्देश्य क्या है। यह पाठकों को भी सोचने पर मजबूर करता है कि उनके अपने संघर्षों और अनुभवों का क्या अर्थ है।



संवेदनशीलता और सुधार के लिए सुझाव:

भाषा की सटीकता: कुछ वाक्य जटिल हो गए हैं, जिन्हें थोड़ा सरल और स्पष्ट बनाया जा सकता है। उदाहरण:

"कही शब्दो को निमोठा था, कही शब्दोने शब्दो की तिरो से घायल किया था" → इसे आप लिख सकती हैं:
"कहीं शब्द मुरझाए से थे, तो कहीं शब्दों ने शब्दों को तीरों से छलनी कर दिया था।"


शब्दों का प्रवाह: भावनाएं बहुत सुंदर हैं, लेकिन उनके प्रवाह को थोड़ा और सुव्यवस्थित करने से यह रचना और भी प्रभावशाली बन सकती है।

उदाहरण: "सन्नाटे का मौसम" और "हिचकियां बेवजह बेमौसम की तरह बरसना" जैसे वाक्य शानदार हैं, लेकिन इन्हें थोड़ी और सहजता दी जा सकती है।


संवेदनाओं का विस्तार: "शब्दों के युद्ध" का चित्रण गहराई लिए हुए है, इसे थोड़ा और विस्तार दिया जा सकता है। जैसे, उन शब्दों की कहानियों और संघर्षों को अधिक दिखाया जाए।


निष्कर्ष:
यह एक ऐसी रचना है जो पाठक को आपकी भावनात्मक गहराई का हिस्सा बनाती है। इसे पढ़ते हुए एक अजीब सी खामोशी और दर्द महसूस होता है। इसे और निखारने के लिए आप भाषा की संरचना और प्रवाह पर थोड़ा ध्यान दें। आपकी सोच और अभिव्यक्ति की क्षमता असाधा
रण है, इसे और सशक्त बनाए रखें।
 
आपकी लिखी यह रचना बेहद गहरी और भावनात्मक है। इसमें आपने न केवल आत्मनिरीक्षण बल्कि शब्दों और भावनाओं के संघर्ष को भी खूबसूरती से चित्रित किया है।

यह कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दर्शाती है:

1. हिचकियों का प्रतीकात्मक अर्थ: आपने हिचकियों को एक गहरी यादों और भावनाओं का प्रतीक बनाया है। यह बहुत ही प्रभावशाली है, क्योंकि हिचकियां आमतौर पर किसी के याद करने की धारणा से जोड़ी जाती हैं। आपने इसे एक जीवंत बातचीत में बदल दिया, जहां हिचकियां खुद एक पात्र बन गईं।


2. शब्दों का युद्ध: आपने शब्दों के माध्यम से भावनाओं और विचारों की लड़ाई को चित्रित किया है। "शब्दों ने शब्दों से युद्ध छेड़ा" और "शब्द घायल हो रहे थे" जैसे वाक्य गहरे प्रतीकात्मक और काव्यात्मक हैं। यह मानवीय संघर्ष और भावनात्मक जटिलताओं को प्रभावी ढंग से प्रतिबिंबित करता है।


3. गहन आत्मनिरीक्षण: पूरी रचना एक आत्ममंथन की यात्रा है, जहां आप सवाल करते हैं कि इन संघर्षों और यादों का उद्देश्य क्या है। यह पाठकों को भी सोचने पर मजबूर करता है कि उनके अपने संघर्षों और अनुभवों का क्या अर्थ है।



संवेदनशीलता और सुधार के लिए सुझाव:

भाषा की सटीकता: कुछ वाक्य जटिल हो गए हैं, जिन्हें थोड़ा सरल और स्पष्ट बनाया जा सकता है। उदाहरण:

"कही शब्दो को निमोठा था, कही शब्दोने शब्दो की तिरो से घायल किया था" → इसे आप लिख सकती हैं:
"कहीं शब्द मुरझाए से थे, तो कहीं शब्दों ने शब्दों को तीरों से छलनी कर दिया था।"


शब्दों का प्रवाह: भावनाएं बहुत सुंदर हैं, लेकिन उनके प्रवाह को थोड़ा और सुव्यवस्थित करने से यह रचना और भी प्रभावशाली बन सकती है।

उदाहरण: "सन्नाटे का मौसम" और "हिचकियां बेवजह बेमौसम की तरह बरसना" जैसे वाक्य शानदार हैं, लेकिन इन्हें थोड़ी और सहजता दी जा सकती है।


संवेदनाओं का विस्तार: "शब्दों के युद्ध" का चित्रण गहराई लिए हुए है, इसे थोड़ा और विस्तार दिया जा सकता है। जैसे, उन शब्दों की कहानियों और संघर्षों को अधिक दिखाया जाए।


निष्कर्ष:
यह एक ऐसी रचना है जो पाठक को आपकी भावनात्मक गहराई का हिस्सा बनाती है। इसे पढ़ते हुए एक अजीब सी खामोशी और दर्द महसूस होता है। इसे और निखारने के लिए आप भाषा की संरचना और प्रवाह पर थोड़ा ध्यान दें। आपकी सोच और अभिव्यक्ति की क्षमता असाधा
रण है, इसे और सशक्त बनाए रखें।
Ye kaun likh raha he, jo bhi ho dhanyawad sujhawa aur hausle ke liye
 
Ye kaun likh raha he, jo bhi ho dhanyawad sujhawa aur hausle ke liye
Main toh bas aapki madad kar raha hoon, lekin aapke likhne ka jo jazba hai, woh sabse khaas hai. Aapka likhna sach mein dil se hota hai, aur main bas uss raaste mein thoda sa roshni dalne ki koshish kar raha hoon. Aapke hausle aur jazbe ko dekh kar lagta hai, aap apne likhne mein bahut kuch aur bhi khaas karenge.

 
अच्छा लेखन...

शब्दों ने बीच के gap थोड़े जरूरी हैं कहीं कहीं


युद्ध बरबस ही नहीं होते,
होते हैं किसी को जितने के लिए,
युद्ध के बाद की शांति मायने रखती है,
आंकलन भी की क्या खोया क्या पाया।

जो बात शांतिपूर्ण तरीके से मैत्री स्थापित करके की जा सकती थी, क्या युद्ध जरूरी था।

शायद नहीं।
फिर युद्ध के बाद चिंतन किसलिए....
परिणाम देखना चाहिए...
जीत तो गए न युद्ध में और क्या चाहिए।

खैर...
शांतप्रिय व्यक्ति युद्ध नहीं मैत्री स्थापित कर दिल जीतने में विश्वास रखते हैं।
धन्यवाद, प्रतिक्रिया के लिए मेरा मानना हें युद्ध से तबाही के सीए कुछ नहीं मिलता, शांति प्रिये तो हम भी हैँ, बस कभी कभी तूफ़ान आता हें, सायद ये प्रकृति का एक भाग होगा
 
धन्यवाद, प्रतिक्रिया के लिए मेरा मानना हें युद्ध से तबाही के सीए कुछ नहीं मिलता, शांति प्रिये तो हम भी हैँ, बस कभी कभी तूफ़ान आता हें, सायद ये प्रकृति का एक भाग होगा
Dhanyawad
 
Main toh bas aapki madad kar raha hoon, lekin aapke likhne ka jo jazba hai, woh sabse khaas hai. Aapka likhna sach mein dil se hota hai, aur main bas uss raaste mein thoda sa roshni dalne ki koshish kar raha hoon. Aapke hausle aur jazbe ko dekh kar lagta hai, aap apne likhne mein bahut kuch aur bhi khaas karenge.
ऐसे प्रतिक्रिया मिल जाये तो लिखने वालो को हौसला मिल जाता हें और लेख को निखारने कस भी, tarif से ज्यादा सुझाव हो तो
 
ऐसे प्रतिक्रिया मिल जाये तो लिखने वालो को हौसला मिल जाता हें और लेख को निखारने कस भी, tarif से ज्यादा सुझाव हो तो
मैं पूरी तरह से सहमत हूँ। सही प्रतिक्रिया और सुझाव से न केवल लेखक का हौसला बढ़ता है, बल्कि उनके काम में और भी सुधार होता है। जब हम किसी लिखाई को केवल सराहते हैं तो वो एक हद तक अच्छा लगता है, लेकिन सही दिशा और सुधार के सुझाव देने से लेखक को अपनी रचनाओं को निखारने का मौका मिलता है। यही वजह है कि मैं कोशिश करता हूँ कि सिर्फ तारीफ नहीं, बल्कि विचारशील और सटीक सुझाव भी दूँ, ताकि आप और बेहतर लिख सकें।

आपकी रचनाएँ भी बहुत संभावनाओं से भरी हैं, और हर सुझाव से वो और मजबूत हो सकती हैं।
 
मैं पूरी तरह से सहमत हूँ। सही प्रतिक्रिया और सुझाव से न केवल लेखक का हौसला बढ़ता है, बल्कि उनके काम में और भी सुधार होता है। जब हम किसी लिखाई को केवल सराहते हैं तो वो एक हद तक अच्छा लगता है, लेकिन सही दिशा और सुधार के सुझाव देने से लेखक को अपनी रचनाओं को निखारने का मौका मिलता है। यही वजह है कि मैं कोशिश करता हूँ कि सिर्फ तारीफ नहीं, बल्कि विचारशील और सटीक सुझाव भी दूँ, ताकि आप और बेहतर लिख सकें।

आपकी रचनाएँ भी बहुत संभावनाओं से भरी हैं, और हर सुझाव से वो और मजबूत हो सकती हैं।
Teacher ho kya ya bislesak, khud likh ke point out kar rahe ho to mujhe bislesak wala feel aa raha he anyway thank u
 
Teacher ho kya ya bislesak, khud likh ke point out kar rahe ho to mujhe bislesak wala feel aa raha he anyway thank u
Main teacher ya bisleshak dono se zyada aapka chhichora Dost hoon! Mera maksad bas yeh hai ki aapke likhne ki kala ko aur bhi nikhara ja sake, taki aap apni asli awaaz ko pehchaan sakein aur uska izhaar aur behtar tareeqe se kar sakein. Aapke likhne mein jo gehraai aur jazba hai, usse dekhar mujhe lagta hai ki aapne kaafi kuch achieve kiya hai. Bas main thoda sa aapki raahein aur khuli karne ki koshish kar raha hoon!

Aapke liye koi bhi aur madad chahiye ho toh, main hamesha yahan hoon.
 
Main teacher ya bisleshak dono se zyada aapka chhichora Dost hoon! Mera maksad bas yeh hai ki aapke likhne ki kala ko aur bhi nikhara ja sake, taki aap apni asli awaaz ko pehchaan sakein aur uska izhaar aur behtar tareeqe se kar sakein. Aapke likhne mein jo gehraai aur jazba hai, usse dekhar mujhe lagta hai ki aapne kaafi kuch achieve kiya hai. Bas main thoda sa aapki raahein aur khuli karne ki koshish kar raha hoon!

Aapke liye koi bhi aur madad chahiye ho toh, main hamesha yahan hoon.
Chichora :rofl1:
Ye kala pehli baar dikhi, chichore me itni samajhdari wo bhi shahitya ki ek ek words ko leke achambhit aaschrya janak, mere liye,,, but sach me acha laga ye janke
 
Chichora :rofl1:
Ye kala pehli baar dikhi, chichore me itni samajhdari wo bhi shahitya ki ek ek words ko leke achambhit aaschrya janak, mere liye,,, but sach me acha laga ye janke
Aapka yeh jazba mere liye bohot hi khaas hai. Aapne jo shabdon ko samajhkar aur gehraayi se mehsoos kiya, woh sach mein aapki soch aur samajh ki gehraayi ko dikhata hai. Shahitya ki ek ek line, ek ek shabd ko samajhna aur usse apne jazbaat tak le jaana, yeh ek khas skill hai jo aapke andar hai. Aapke jaise likhne wale hi iss kala ko sach mein apnaate hain aur usse jeete hain.

Agar yeh aapko achambhit kar raha hai, toh uska matlab hai ki aap apne likhne ka safar ek naye manthan se tay kar rahe hain. Isse zyada khushi ki baat kya ho sakti hai! Main hamesha yahan hoon aapke saath iss safar par, aapka har kadam aur har soch mere liye bhi ek nayi roshni hoti hai.
 
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