रास्ते खत्म न हो इस जिंदगी के सफर मेंरास्ते कहां ख़त्म होते हैं ज़िंदग़ी के सफ़र में,
मंज़िल तो वहां है जहां ख्वाहिशें थम जाएं।
दिल की बस इतनी ही आरजू है
ख्वाहिशें नई बनाएंगे उनके साथ में
निकलेंगे फिर साथ साथ मंजिल की तलाश में।
रास्ते खत्म न हो इस जिंदगी के सफर मेंरास्ते कहां ख़त्म होते हैं ज़िंदग़ी के सफ़र में,
मंज़िल तो वहां है जहां ख्वाहिशें थम जाएं।
फ़ासले ही फ़ासले थे मंज़िलें ही मंज़िलेंरास्ते खत्म न हो इस जिंदगी के सफर में
दिल की बस इतनी ही आरजू है
ख्वाहिशें नई बनाएंगे उनके साथ में
निकलेंगे फिर साथ साथ मंजिल की तलाश में।
चलो फासलों को मिटा देंफ़ासले ही फ़ासले थे मंज़िलें ही मंज़िलें
हम-सफ़र कोई न था और रहनुमा कोई न था
मुश्किलें जरूर है, मगर ठहरा नही हूं मैंचलो फासलों को मिटा दें
हमसफर को भी मना लें
मंजिलें साथ तय करने
एक बार फिर हौसला लें।
वाह!!मुश्किलें जरूर है, मगर ठहरा नही हूं मैं
मंज़िल से जरा कह दो, अभी पहुंचा नही हूं मैं
आग ही रोज़ डराती रही मंज़िल से मगरवाह!!
अभी निकलता हूं मैं मंजिल की तरफ
इत्तिला कर दूंगा उन्हें तैयारी कर लो
सबसे बड़ा तेरा महबूब आ रहा है।
आग की ऐसी की तैसी,आग ही रोज़ डराती रही मंज़िल से मगर
हौसला पांव की ज़ंजीर में रक्खा गया था
अजब मुसाफ़िर हूँ मैं मेरा सफ़र अजीबआग की ऐसी की तैसी,
हम हिमालय खुद जायेंगे
ढेर सारी बर्फ से उसे बुझाएंगे
जंजीरों को ठंड से जमाकर
इतने हथौड़े बरसाएंगे की वो
खुद तुम्हें मुक्त कर मंजिल दिखाएंगे।
मजा तो तभी है सफर का जबअजब मुसाफ़िर हूँ मैं मेरा सफ़र अजीब
मेरी मंज़िल और है मेरा रस्ता और
हर फ़िक्र की अपनी मंज़िल थीमजा तो तभी है सफर का जब
रास्ता मंजिल की तरफ ना ले जाए।
बस...हर फ़िक्र की अपनी मंज़िल थी
हर सोच का अपना रस्ता था
Thoda Aram krlo Bhai sahabबस...
इतना देर से चले जा रहे हैं
भारी थकावट हो जायेगा
थोड़ा पानी वानी पी लेते हैं
फिर आगे का रास्ता तय किया जाएगा।
Jo kehta tha wo Tere har gaau me Lagaunga malhamकितना खुश नसीब होता होगा वह पुरुष,
जिसके प्यार में कोई स्त्री दीवानी होती है...
किंतु अपना तो कुछ अलग ही रहा...
मेरे प्रेम का समस्त अध्याय विरह का रहा,
मैं वंचित हुआ प्रेम से, प्रेमिका से,
और अंततः अब स्वयं से भी होना है...
और चाहा भी तो नहीं था इससे ज्यादा...
मेरी हर तलाश तुम पर ही खत्म होगी
मैंने अपनी आरजुओं को बस इतने ही पंख लगाये थे..!!
अब तो आरजू बस ये है की...
मेरे हिस्से में सिर्फ तुम रहो...
सारा जहां लोगों को मुबारक !!
एहसास होता है की..
तुम थे, वक़्त था, मैं नही !
मैं था, वक़्त था, तुम नही !
मैं हूँ, तुम हो, वक़्त नही !
वक़्त रहेगा, मैं नही, तुम नही !!
कुछ तुम्हारे लिए...
बेबस हैं कि तुझ तक आ नहीं सकते
अपनी मोहब्बत तुझे हम दिखा नहीं सकते
रोक नहीं सकता यूँ तो ये ज़ालिम ज़माना
पर तुझ ही पर तोहमतें लगवा नहीं सकते।
तू ख़ास है कितना जता नहीं सकते
पर तेरा ख़ास दिन भुला नहीं सकते
माना कि हक नहीं रहा हमें पर
अपना फ़र्ज़ भी तो भुला नहीं सकते।
दुआ तो दे सकते हैं
चाहे उपहार पहुँचा नहीं सकते
प्रेम रहेगा सदा तुझसे
चाह कर भी हम दिखा नहीं सकते
ख़ुश रहे तू बस सदा
इससे ज़्यादा जता नहीं सकते।
तुमको तो अपनी किस्मत मान बैठा था मैं...
सारा इल्जाम अपने सर ले कर,
हमने किस्मत को माफ कर दिया..!!
इससे ज्यादा लिख नहीं सकता अब
तुमने कहा की शायरी लिखो तो लिख दिया।
अंतिम विदाई मान लेना इसे।
क्योंकि एहसास और विश्वास पे रिश्ते टिकते हैं।
ना कि किसी एहसान पे ना ही किसी गुमान पे।
अन्त, का मतलब है एक नई शुरुआत
विदा लेना चाहूंगा तुम्हें शुभकामनाएं देने के साथ।
और एक खास चीज जो तुम्हारे लिए ही तो लिखा था जानती ही हो.....
तुम्ही को सौंपता हूं....
View attachment 246338
काश की हाथ बढ़ा दिया होता तुमने...
तुमने अभी उसे जाना ही नहींJo kehta tha wo Tere har gaau me Lagaunga malham
Dekho jara Aaj usi ne kar aaya apni haato se apni chahato ka dafan ( ab Kya Hoga )