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मोरपंख ✨✨

गुलाब से पूछो कि दर्द क्या होता है,
देता है पैगाम मोहब्बत का और,
खुद काँटों में रहता है
पूछना क्या किसी से
हम उस दर्द से वाकिक हैं
पैगाम-ए-मोहब्बत में

दर्द होना भी लाजिमी है।
 
हम, से अब भी तेरी आरजू नहीं छोड़ी जाती। दर्पण देखने की अब जरूरत नज़र नहीं आती। वो तेरे दिये मोर पंख, गुलाबों की जगह, छुअन उनकी तेरे हाथों का अहसास कराती।
तेरी यादों के लम्हों को.,
भर के रख लिया वक्त की गुल्लक में.....!!
उदासी के लम्हो में .,

खर्च करूँगा आहिस्ता आहिस्ता मैं तुम्हें.....!!
 
पूछना क्या किसी से
हम उस दर्द से वाकिक हैं
पैगाम-ए-मोहब्बत में

दर्द होना भी लाजिमी है।
फूल गुलाब का भेज रहे है,
आपके लिए लबों से छूकर जान,
इसमें डाल दीजिए
 
तुम मोर पंख सी लगती हो पर किताबों में रखा नहीं
मोहब्बत इतना लुटाया तुमपे जो हिसाबों में रखा नहीं
मिलेंगे....
इक रोज़ तसल्ली से हम दोनो,
दरमियान से बस

ये जिंदगी गुज़र जाने दो..!!!
 
फूल गुलाब का भेज रहे है,
आपके लिए लबों से छूकर जान,
इसमें डाल दीजिए
अरे भ्राता श्री,
गुलाब आप उन्हें भेजें
जिनके लबों की एक छुवन
आपके दिल को सुकून दे।

हम तो खा जायेंगे पंखुड़ियां

उनका मुरझाना हमें बर्दाश्त नहीं।
:rofl1: :Cwl:
 
गुलाब जैसी हो,
गुलाब लगती हो,
हल्का सा जो मुस्कुरा दो,
तो लाजवाब लगती हो
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,
वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है!
 
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,
वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है!
फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है
 
फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है
अपने अंदर दर्द को बस कुछ यूँ छुपा रहे है,
आंसू आँखों में रोककर जबरन मुस्कुरा रहे है!
 
अरे भ्राता श्री,
गुलाब आप उन्हें भेजें
जिनके लबों की एक छुवन
आपके दिल को सुकून दे।

हम तो खा जायेंगे पंखुड़ियां

उनका मुरझाना हमें बर्दाश्त नहीं।
:rofl1: :Cwl:
Dosti wali golp hai aap ke leye ..pyar wali bazar me aye nahi
 
अपने अंदर दर्द को बस कुछ यूँ छुपा रहे है,
आंसू आँखों में रोककर जबरन मुस्कुरा रहे है!
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
 
अपने अंदर दर्द को बस कुछ यूँ छुपा रहे है,
आंसू आँखों में रोककर जबरन मुस्कुरा रहे है!
दर्द को क्यों अकेले सहना
इस दोस्त से साझा कर लो,
रो लो जी भर के एक बार

फिर मुस्कान खिल के आयेगी।
 
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
उसकी मर्जी तुम्हें बदलने की कहा है
उसके दर्द को समझो बस यही चाहत है।
 
उसकी मर्जी तुम्हें बदलने की कहा है
उसके दर्द को समझो बस यही चाहत है।
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
 
दर्द को क्यों अकेले सहना
इस दोस्त से साझा कर लो,
रो लो जी भर के एक बार

फिर मुस्कान खिल के आयेगी।
सब तरह की दीवानगी से वाकिफ हुए हम,
पर माँ जैसा चाहने वाला ज़माने भर में ना था!
 
सब तरह की दीवानगी से वाकिफ हुए हम,
पर माँ जैसा चाहने वाला ज़माने भर में ना था!
माँ की गोद में सुकून है, माँ की आँखों में प्यार है। माँ की दुआओं में असर है, माँ की किस्मत में प्यार है। माँ की ज़िंदगी में उतार चढ़ाव होते हैं, लेकिन माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए खड़ी रहती है। माँ की एक मुस्कान किसी भी गम को दूर कर सकती है।
 
माँ की गोद में सुकून है, माँ की आँखों में प्यार है। माँ की दुआओं में असर है, माँ की किस्मत में प्यार है। माँ की ज़िंदगी में उतार चढ़ाव होते हैं, लेकिन माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए खड़ी रहती है। माँ की एक मुस्कान किसी भी गम को दूर कर सकती है।
आज इतना तनहा महसूस किया खुद को,
जैसे लोग दफना कर चले गए हो!
 
आज इतना तनहा महसूस किया खुद को,
जैसे लोग दफना कर चले गए हो!
किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देती
है यही एक ख़राबी मिरी तन्हाई की
 
मैं तुम्हे
कभी गुलाब नही दूँगा....

किताबों में पड़े गुलाब सूख जाते हैं.....

और जैसे जैसे वो सूखते हैं....
सूखता जाता है आपस का प्रेम.....

मुझे गुलाबों के सूखने से डर लगता है.....
हाँ कभी मौका मिला
तो मैं जरूर दूँगा तुम्हे मोर का एक पंख

तुम उसे संभाल के रख लेना
प्रेम की किताब के एकदम बीचो बीच....

मोर के पंख कभी सूखते नहीं....
बचपन में सुना था
किताबों में मोर का पंख रखने से.....अच्छी रहती याददाश्त....


और यूँ भी....भूलने की आदत बहुत है तुम्हे....
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✨ श्वेतराग ✨
मोर पंख की बना लेखनी, कागज कोरे मन माही।
लिखी कहानी कलम डुबोकर,प्रेम सिंधु की ले स्याही।।
 
मैं तुम्हे
कभी गुलाब नही दूँगा....

किताबों में पड़े गुलाब सूख जाते हैं.....

और जैसे जैसे वो सूखते हैं....
सूखता जाता है आपस का प्रेम.....

मुझे गुलाबों के सूखने से डर लगता है.....
हाँ कभी मौका मिला
तो मैं जरूर दूँगा तुम्हे मोर का एक पंख

तुम उसे संभाल के रख लेना
प्रेम की किताब के एकदम बीचो बीच....

मोर के पंख कभी सूखते नहीं....
बचपन में सुना था
किताबों में मोर का पंख रखने से.....अच्छी रहती याददाश्त....


और यूँ भी....भूलने की आदत बहुत है तुम्हे....
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✨ श्वेतराग ✨
Bahut khud
Prem kisi gullab ka mautaz nai he ,aur Mayur pankh BHI kho jate he , jo na kabhi khota na kabhi sukhta he,,, wo yaade he ,

Dooriya ki ek charan Hoti he yaado ki tofe
Wo BHI kabool karegi wo asruo se muh dhoke
Kahaniya ki ek mod to aana hi tha
Use ab Kaun roke
 
Bahut khud
Prem kisi gullab ka mautaz nai he ,aur Mayur pankh BHI kho jate he , jo na kabhi khota na kabhi sukhta he,,, wo yaade he ,

Dooriya ki ek charan Hoti he yaado ki tofe
Wo BHI kabool karegi wo asruo se muh dhoke
Kahaniya ki ek mod to aana hi tha
Use ab Kaun roke
खोने को तो.....
हम भी खो जायेंगे एक दिन
तुम भी खो जाओगे एक दिन
तो क्या सिर्फ ये याद रख के
रूक जाएं और कुछ ना करें।
 
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