पूछना क्या किसी सेगुलाब से पूछो कि दर्द क्या होता है,
देता है पैगाम मोहब्बत का और,
खुद काँटों में रहता है
हम उस दर्द से वाकिक हैं
पैगाम-ए-मोहब्बत में
दर्द होना भी लाजिमी है।
पूछना क्या किसी सेगुलाब से पूछो कि दर्द क्या होता है,
देता है पैगाम मोहब्बत का और,
खुद काँटों में रहता है
तेरी यादों के लम्हों को.,हम, से अब भी तेरी आरजू नहीं छोड़ी जाती। दर्पण देखने की अब जरूरत नज़र नहीं आती। वो तेरे दिये मोर पंख, गुलाबों की जगह, छुअन उनकी तेरे हाथों का अहसास कराती।
फूल गुलाब का भेज रहे है,पूछना क्या किसी से
हम उस दर्द से वाकिक हैं
पैगाम-ए-मोहब्बत में
दर्द होना भी लाजिमी है।
मिलेंगे....तुम मोर पंख सी लगती हो पर किताबों में रखा नहीं
मोहब्बत इतना लुटाया तुमपे जो हिसाबों में रखा नहीं
अरे भ्राता श्री,फूल गुलाब का भेज रहे है,
आपके लिए लबों से छूकर जान,
इसमें डाल दीजिए
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,गुलाब जैसी हो,
गुलाब लगती हो,
हल्का सा जो मुस्कुरा दो,
तो लाजवाब लगती हो
फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम हैचेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,
वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है!
अपने अंदर दर्द को बस कुछ यूँ छुपा रहे है,फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है
Dosti wali golp hai aap ke leye ..pyar wali bazar me aye nahiअरे भ्राता श्री,
गुलाब आप उन्हें भेजें
जिनके लबों की एक छुवन
आपके दिल को सुकून दे।
हम तो खा जायेंगे पंखुड़ियां
उनका मुरझाना हमें बर्दाश्त नहीं।
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसेअपने अंदर दर्द को बस कुछ यूँ छुपा रहे है,
आंसू आँखों में रोककर जबरन मुस्कुरा रहे है!
दर्द को क्यों अकेले सहनाअपने अंदर दर्द को बस कुछ यूँ छुपा रहे है,
आंसू आँखों में रोककर जबरन मुस्कुरा रहे है!
उसकी मर्जी तुम्हें बदलने की कहा हैअपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाताउसकी मर्जी तुम्हें बदलने की कहा है
उसके दर्द को समझो बस यही चाहत है।
सब तरह की दीवानगी से वाकिफ हुए हम,दर्द को क्यों अकेले सहना
इस दोस्त से साझा कर लो,
रो लो जी भर के एक बार
फिर मुस्कान खिल के आयेगी।
माँ की गोद में सुकून है, माँ की आँखों में प्यार है। माँ की दुआओं में असर है, माँ की किस्मत में प्यार है। माँ की ज़िंदगी में उतार चढ़ाव होते हैं, लेकिन माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए खड़ी रहती है। माँ की एक मुस्कान किसी भी गम को दूर कर सकती है।सब तरह की दीवानगी से वाकिफ हुए हम,
पर माँ जैसा चाहने वाला ज़माने भर में ना था!
आज इतना तनहा महसूस किया खुद को,माँ की गोद में सुकून है, माँ की आँखों में प्यार है। माँ की दुआओं में असर है, माँ की किस्मत में प्यार है। माँ की ज़िंदगी में उतार चढ़ाव होते हैं, लेकिन माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए खड़ी रहती है। माँ की एक मुस्कान किसी भी गम को दूर कर सकती है।
किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देतीआज इतना तनहा महसूस किया खुद को,
जैसे लोग दफना कर चले गए हो!
मोर पंख की बना लेखनी, कागज कोरे मन माही।मैं तुम्हे
कभी गुलाब नही दूँगा....
किताबों में पड़े गुलाब सूख जाते हैं.....
और जैसे जैसे वो सूखते हैं....
सूखता जाता है आपस का प्रेम.....
मुझे गुलाबों के सूखने से डर लगता है.....
हाँ कभी मौका मिला
तो मैं जरूर दूँगा तुम्हे मोर का एक पंख
तुम उसे संभाल के रख लेना
प्रेम की किताब के एकदम बीचो बीच....
मोर के पंख कभी सूखते नहीं....
बचपन में सुना था
किताबों में मोर का पंख रखने से.....अच्छी रहती याददाश्त....
और यूँ भी....भूलने की आदत बहुत है तुम्हे....
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श्वेतराग
Bahut khudमैं तुम्हे
कभी गुलाब नही दूँगा....
किताबों में पड़े गुलाब सूख जाते हैं.....
और जैसे जैसे वो सूखते हैं....
सूखता जाता है आपस का प्रेम.....
मुझे गुलाबों के सूखने से डर लगता है.....
हाँ कभी मौका मिला
तो मैं जरूर दूँगा तुम्हे मोर का एक पंख
तुम उसे संभाल के रख लेना
प्रेम की किताब के एकदम बीचो बीच....
मोर के पंख कभी सूखते नहीं....
बचपन में सुना था
किताबों में मोर का पंख रखने से.....अच्छी रहती याददाश्त....
और यूँ भी....भूलने की आदत बहुत है तुम्हे....
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श्वेतराग
खोने को तो.....Bahut khud
Prem kisi gullab ka mautaz nai he ,aur Mayur pankh BHI kho jate he , jo na kabhi khota na kabhi sukhta he,,, wo yaade he ,
Dooriya ki ek charan Hoti he yaado ki tofe
Wo BHI kabool karegi wo asruo se muh dhoke
Kahaniya ki ek mod to aana hi tha
Use ab Kaun roke