Siddhantrt
Epic Legend
बस एक दिन,
साल बदल जाएगा और ये मौसम भी,
अभी तक धूप थी ठंढ को जकड़े हुए, एक नरम-गरम अहसास, अभी अचानक खो गई धूप,
बड़ा उदास सा है जैसे सारी चमक उतार ले गया कोई.....!
हां...
बदलने को है कुछ लगा नहीं था अब से पहले पर किस वक्त क्या हो जाए कौन जानता है,
हर गुजरा वर्ष कुछ दे कर ही जाता है, अच्छा या बुरा, अब ये तो लेने वाले के उपर है....!
कोई साथ चलता है अनवरत, तो कोई थम जाता है, तो कोई लौट भी जाता है.....!
**********
तुमने कहा था....
अब मैं लौट जाती हूं
जो देना था
दे दिया
जो चाहा था तुमसे
इस रिश्ते से
उससे कहीं ज्यादा मिला
खुद से प्यार करने वाले ने
तुम से किया प्यार
और अब तुम्हें भी
आ गया है
खुद को प्यार करना
तो
अब मैं लौट जाती हूं
हो गया, मेरे संग होने का
उद़देश्य पूरा
**********
हां
मैं कहता हूं
अब लौट ही जाओ तुम
जो जीवन में
लक्ष्य लेकर चलते हैं
उन्हें
लौटना ही पड़ता है
वक्त और काम
पूरा होने पर
जो प्यार करते हैं
वो कहीं नहीं जाते
न आगे... न पीछे
प्यार तो बस एक पल है
और उसी को अर्पित
ये जीवन है
**********
इसलिए
जाओ
लौट जाओ तुम
एक नए लक्ष्य की तलाश में
नई खुशियों की आस में
मैं
इस दोपहर की उदास धूप को
याद वाली डिब्बी में
बंद कर दूंगा
और हर वर्ष के
दो अंतिम दिनों में
तुम्हारे प्यार वाले दिनों को जिउंगा
मगर
थमा ही रहूंगा
क्योंकि
मेरा प्यार निरूदेश्य था
मैंने सिर्फ... प्यार ही किया था......!
**********
साल बदल जाएगा और ये मौसम भी,
अभी तक धूप थी ठंढ को जकड़े हुए, एक नरम-गरम अहसास, अभी अचानक खो गई धूप,
बड़ा उदास सा है जैसे सारी चमक उतार ले गया कोई.....!
हां...
बदलने को है कुछ लगा नहीं था अब से पहले पर किस वक्त क्या हो जाए कौन जानता है,
हर गुजरा वर्ष कुछ दे कर ही जाता है, अच्छा या बुरा, अब ये तो लेने वाले के उपर है....!
कोई साथ चलता है अनवरत, तो कोई थम जाता है, तो कोई लौट भी जाता है.....!
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तुमने कहा था....
अब मैं लौट जाती हूं
जो देना था
दे दिया
जो चाहा था तुमसे
इस रिश्ते से
उससे कहीं ज्यादा मिला
खुद से प्यार करने वाले ने
तुम से किया प्यार
और अब तुम्हें भी
आ गया है
खुद को प्यार करना
तो
अब मैं लौट जाती हूं
हो गया, मेरे संग होने का
उद़देश्य पूरा
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हां
मैं कहता हूं
अब लौट ही जाओ तुम
जो जीवन में
लक्ष्य लेकर चलते हैं
उन्हें
लौटना ही पड़ता है
वक्त और काम
पूरा होने पर
जो प्यार करते हैं
वो कहीं नहीं जाते
न आगे... न पीछे
प्यार तो बस एक पल है
और उसी को अर्पित
ये जीवन है
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इसलिए
जाओ
लौट जाओ तुम
एक नए लक्ष्य की तलाश में
नई खुशियों की आस में
मैं
इस दोपहर की उदास धूप को
याद वाली डिब्बी में
बंद कर दूंगा
और हर वर्ष के
दो अंतिम दिनों में
तुम्हारे प्यार वाले दिनों को जिउंगा
मगर
थमा ही रहूंगा
क्योंकि
मेरा प्यार निरूदेश्य था
मैंने सिर्फ... प्यार ही किया था......!
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