वो भी तन्हा, हम भी तन्हा
साथी तो है मगर, तन्हा-तन्हा सफर।
चंदा तन्हा, सूरज तन्हा
रौशन तो है डगर, तन्हा-तन्हा सफर।
दीपक तन्हा, बाती तन्हा
प्रभा है रात-भर, तन्हा-तन्हा सफर।
जीवन तन्हा, मौसम तन्हा
रख ले थोड़ी सबर, चला कर थामकर।
मैं भी हूं तन्हा, तुम भी हो तन्हा।
चले उस जगह, जहां दोनों हो तन्हा।।
सूरज भी है तन्हा, चांद भी है तन्हा।
करते है सफ़र आसमां में वे तन्हा।।
चलो तन्हाई को रुकसत करे हम दोनों।
घर बसाए कहीं चलकर हम दोनों तन्हा।।
मेरी जान भी तन्हा, तेरा जहां भी तन्हा।
छोड़ कर चल देंगे, इस जहां को तन्हा।।
लेकर न जाएंगे कुछ भी इस जहां से हम।
बस सो जाएंगे दो गज जमीं पर हम तन्हा।।
मेरी औकात है तन्हा, तेरी बिसात है तन्हा।
इस मुकद्दर में लिखा है, हम रहेगें सदा तन्हा।।
कल थे हम तन्हा, आज भी है दोनों तन्हा।
कब तक चलेगा ये सिलसिला होने का तन्हा।