Khubsurati se likha apne..मेरी शाखों पे मेरे सब्र का फल देखेंगे
जब मेरे यार मेरा रंग-ए-ग़ज़ल देखेंगे ,,
मैं भी हर रोज़ मुलाक़ात का कहता था उसे
वो भी हर रोज़ ये कहता था के कल देखेंगे,,,
जितनी खूबसूरती से लिखा है मैंने आपने तारीफ भी उतनी ही खूबसूरती से की है ,,Khubsurati se likha apne..
Jee shukriya sun ke dil ko tasalli mili ...जितनी खूबसूरती से लिखा है मैंने आपने तारीफ भी उतनी ही खूबसूरती से की ,,
बहुत शुक्रिया मोहतरमा
गौर फरमाएगा तसल्ली के 4 शब्दों पे मेरे ,,Jee shukriya sun ke dil ko tasalli mili ...
गौर फरमाएगा तसल्ली के 4 शब्दों पे मेरे ,,
"दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए घूमते हैं |
ताली तो ऐसे दे रही जैसे कोई मार मार के ताली बजवा रहा हो
गाहे बगाहे की मुलाकात ही अच्छी है जनाबमेरी शाखों पे मेरे सब्र का फल देखेंगे
जब मेरे यार मेरा रंग-ए-ग़ज़ल देखेंगे ,,
मैं भी हर रोज़ मुलाक़ात का कहता था उसे
वो भी हर रोज़ ये कहता था के कल देखेंगे,,,
Bahut khubमेरी शाखों पे मेरे सब्र का फल देखेंगे
जब मेरे यार मेरा रंग-ए-ग़ज़ल देखेंगे ,,
मैं भी हर रोज़ मुलाक़ात का कहता था उसे
वो भी हर रोज़ ये कहता था के कल देखेंगे,,,
दुरुस्त फरमाया जनाबगाहे बगाहे की मुलाकात ही अच्छी है जनाब
कद्र खो देता है हर रोज का आना जाना
तसल्ली से पढ़ा होता तो समझ में आ जाते "वो"गौर फरमाएगा तसल्ली के 4 शब्दों पे मेरे ,,
"दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए घूमते हैं |
आसमानो से फरिश्ते तो उतारे जाये ,,Bahut khub
Ab kahi do us yaar ko ham se
Bahane baazi nai chalega
Jo he sab sach2 kehna padega
Chalo phir aaj ye BHI faisle kar hi dete heआसमानो से फरिश्ते तो उतारे जाये ,,
वो भी इस दौर में सच बोल दे तो मारे जाये
ज़ाहिर कर दो जज़्बात अपने दिल -ए-नादान के,Chalo phir aaj ye BHI faisle kar hi dete he
Kaun he jisse ham aap ki dill ki BAAT Keh dete he
जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिनतसल्ली से पढ़ा होता तो समझ में आ जाते "वो"
कुछ पन्ने- बिन पढ़े ही शायद पलट दिए होंगे तुमने
जिंदगी को किताबों से जोड़ा ही कहाजो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन
ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ
खुद ही को पढ़ता हूँ,जिंदगी को किताबों से जोड़ा ही कहा
तुमने शायद ठीक से जाना ही नहीं....
जो पन्ने ना पढ़ पाए वो किताबों के
ना होकर, उसकी जिंदगी के थे...
अगर पढ़ पाते तुम उसे तो शायद शिकायत न होती
साथ होते और उसके होठों पे उसके मुस्कुराहट होती
खुद के पन्नों को पढ़ना लाजिमी हैखुद ही को पढ़ता हूँ,
फिर यूं ही छोड़ देता हूँ…
एक पन्ना जिंदगी का,
मैं हर रोज मोड़ देता हूँ!
Mithas char sakte he log apni baato seज़ाहिर कर दो जज़्बात अपने दिल -ए-नादान के,
मन की बात बोलने में वक़्त लगाया नहीं करते !
ख़ामखाँ ही परेशान हो जाएगा कोई भी शख्स,
हर किसी को दास्तां-ए-दिल सुनाया नहीं करते ,,
इस दिल की दास्तां सुनाए कैसे,Mithas char sakte he log apni baato se
Jawab mil Jayega ek Baar
Khud hi puchlena apni saso se
Kasme wade sayad mita sake par
Mita nai sakte lakir apni hato se
Bin kahe bin sune Jane kaise ham
Aap ki koi dasta he ya nai ye maane kaise