• We kindly request chatzozo forum members to follow forum rules to avoid getting a temporary suspension. Do not use non-English languages in the International Sex Chat Discussion section. This section is mainly created for everyone who uses English as their communication language.

मांगूंगा ही क्या

Vikas21

Wellknown Ace
कि तेरी चाहत में बेकरार रहता था
हां फिर मैं तो तेरे प्यार में रहता था
तेरे जाने के बाद समझ आई ये बात
जिंदगी के किस इंतज़ार में रहता था

कि तेरे जाने के बाद एक कंकर नहीं चाहिए
जिंदगी को गले लगाने अब शंकर भी नहीं चाहिए
अगर एक दिन शंकर मिल भी गये तो जानूंगा क्या
तेरे सिवा कुछ और उनसे मांगूंगा ही क्या
 
Last edited:
कि तेरी चाहत में बेकरार रहता था
हां फिर मैं तो तेरे प्यार में रहता था
तेरे जाने के बाद समझ आई
ये बात जिंदगी के किस इंतज़ार में रहता था

कि तेरे जाने के बाद एक कंकर नहीं चाहिए
जिंदगी को गले लगाने अब शंकर भी नहीं चाहिए
अगर एक दिन शंकर मिल भी गये तो जानूंगा क्या
तेरे सिवा कुछ और उनसे मांगूंगा ही क्या
बहुत ही गहरी और सशक्त भावनाओं को व्यक्त किया है आपने! यह शेर हर किसी को अपने दिल के अंदर एक खालीपन और किसी के होने का अहसास दिलाता है। "तेरे सिवा कुछ और उनसे मांगूंगा ही क्या" – यह लाइन तो जैसे किसी विशेष व्यक्ति की अहमियत और उनकी जगह को पूरी तरह से मान्यता देती है, जिस पर दिल ने अपना पूरा विश्वास और प्यार समर्पित कर दिया हो।

यह कविता प्रेम और उस प्रेम की अद्वितीयता की एक झलक है, जिसमें केवल एक ही व्यक्ति की चाहत और उनकी उपस्थिति से ही ज़िंदगी का अर्थ बनता है। Aapki likhai mein ek gehraai hai jo har padhne wale ko apne jazbaat se judne ka avsar deti hai.

Agar aap isse aur bhi explore karna chahein, toh zarur likhiye. Aapki kalpana aur jazbaat sach mein prernadayak hai.
 
बहुत ही गहरी और सशक्त भावनाओं को व्यक्त किया है आपने! यह शेर हर किसी को अपने दिल के अंदर एक खालीपन और किसी के होने का अहसास दिलाता है। "तेरे सिवा कुछ और उनसे मांगूंगा ही क्या" – यह लाइन तो जैसे किसी विशेष व्यक्ति की अहमियत और उनकी जगह को पूरी तरह से मान्यता देती है, जिस पर दिल ने अपना पूरा विश्वास और प्यार समर्पित कर दिया हो।

यह कविता प्रेम और उस प्रेम की अद्वितीयता की एक झलक है, जिसमें केवल एक ही व्यक्ति की चाहत और उनकी उपस्थिति से ही ज़िंदगी का अर्थ बनता है। Aapki likhai mein ek gehraai hai jo har padhne wale ko apne jazbaat se judne ka avsar deti hai.

Agar aap isse aur bhi explore karna chahein, toh zarur likhiye. Aapki kalpana aur jazbaat sach mein prernadayak hai.
Dhanyawad, Aaj ke pahle mujhe kisi se Aisha nhi bola na hi maine khud ke bare mein kabhi Aisha socha, aapka yeh bhaw mujhe aur bhi jyada likhne ki prerna deta hai.
 
Dhanyawad, Aaj ke pahle mujhe kisi se Aisha nhi bola na hi maine khud ke bare mein kabhi Aisha socha, aapka yeh bhaw mujhe aur bhi jyada likhne ki prerna deta hai.
Yeh toh mere liye ek bahut badi baat hai ki mere shabdon se aapko likhne ki prerna milti hai. Aapka likhna khud mein ek kala hai, aur jo jazbaat aap vyakt karti hain, woh dil tak pahuchte hain.

Hamesha yaad rakhiye, aapke shabdon ki taqat kisi ke din ko roshan kar sakti hai. Har baar likhne ke liye ek nayi subah hoti hai, aur mujhe poora vishwas hai ki aap apni kavita aur rachnayein se naye aasman chhooengi. Kabhi rukna mat!
 
कि तेरी चाहत में बेकरार रहता था
हां फिर मैं तो तेरे प्यार में रहता था
तेरे जाने के बाद समझ आई ये बात
जिंदगी के किस इंतज़ार में रहता था

कि तेरे जाने के बाद एक कंकर नहीं चाहिए
जिंदगी को गले लगाने अब शंकर भी नहीं चाहिए
अगर एक दिन शंकर मिल भी गये तो जानूंगा क्या
तेरे सिवा कुछ और उनसे मांगूंगा ही क्या
चाहत मे कोई कमी न थी नजाने फिर भी क्यू पूरी हो न पाई
सोचि थी उसके जाने के बाद न कभी जगूंगी पर सो ना पाई
न ये आँखे नमी थी न इन आँखो मे नदियों की कमी थी

फिर भी नजाने क्यू मैं दिल खोल के न रों पाई,
 
Last edited:
चाहत मे कोई कमी न थी नजाने फिट भी क्यू पूरी हो न पाई
सोचि थी उसके जाने के बाद न कभी जगूंगी पर सो ना पाई
न ये आँखे नमी थी न इन आँखो मे नदियों की कमी थी

फिर भी नजाने क्यू मैं दिल खोल के न रों पाई,
Kya baat hai
 
कि तेरी चाहत में बेकरार रहता था
हां फिर मैं तो तेरे प्यार में रहता था
तेरे जाने के बाद समझ आई ये बात
जिंदगी के किस इंतज़ार में रहता था

कि तेरे जाने के बाद एक कंकर नहीं चाहिए
जिंदगी को गले लगाने अब शंकर भी नहीं चाहिए
अगर एक दिन शंकर मिल भी गये तो जानूंगा क्या
तेरे सिवा कुछ और उनसे मांगूंगा ही क्या
कुछ दर्द दिल में ही रहे जाते हैं
किसी को पता भी नहीं चलता
कि हम क्या क्या सह जाते हैं...
 
Top