प्रेम़ खु़द ही स्वय़ को स़वाऱता है़;
य़ह अ़पनी आतरिक प्रस़न्नता को बा़ह्य
सु़दरता़ से सि़द्ध क़रने का प्रयास क़रता है।
प्रेम कि़सी अ़धिकार का दावा ऩही क़रता,
परंतु स्वतंत्रता देता है।
प्रेम एक अनंत रहस्य है,
क्योंकि इसकी व्याख्या करने के लिए,
और कुछ है ही नहीं।
प्रेम का उपहार दिया नहीं जा सकता,
यह तो स्वीकारे जाने की प्रतीक्षा करता है।
य़ह अ़पनी आतरिक प्रस़न्नता को बा़ह्य
सु़दरता़ से सि़द्ध क़रने का प्रयास क़रता है।
प्रेम कि़सी अ़धिकार का दावा ऩही क़रता,
परंतु स्वतंत्रता देता है।
प्रेम एक अनंत रहस्य है,
क्योंकि इसकी व्याख्या करने के लिए,
और कुछ है ही नहीं।
प्रेम का उपहार दिया नहीं जा सकता,
यह तो स्वीकारे जाने की प्रतीक्षा करता है।