मैं उसे प्यार करता
यदि वह
ख़ुद वह होती !
मैं अपना हृदय खोल देता
यदि वह
अपने भीतर खुल जाती !
मैं उसे छूता
यदि वह देह होती
और मेरे हाथ होते मेरे भाव !
मैं उसे प्यार करता
यदि मैं पत्ता या हवा होता
या मैं ख़ुद को नहीं जानता !
मैं जब डूब रहा था
वह उभर रही थी
जिस पल उसकी झलक दिखी
मैं कभी-कभी डूब रहा हूँ
वह अभी-अभी अपने भीतर उभर रही है !
मैं उसे प्यार करता
यदि वह जानती
मैं ख़ामोशी की लय में अकेला उसे प्यार करता हूँ
प्यार के बहुत चेहरे हैं !
यदि वह
ख़ुद वह होती !
मैं अपना हृदय खोल देता
यदि वह
अपने भीतर खुल जाती !
मैं उसे छूता
यदि वह देह होती
और मेरे हाथ होते मेरे भाव !
मैं उसे प्यार करता
यदि मैं पत्ता या हवा होता
या मैं ख़ुद को नहीं जानता !
मैं जब डूब रहा था
वह उभर रही थी
जिस पल उसकी झलक दिखी
मैं कभी-कभी डूब रहा हूँ
वह अभी-अभी अपने भीतर उभर रही है !
मैं उसे प्यार करता
यदि वह जानती
मैं ख़ामोशी की लय में अकेला उसे प्यार करता हूँ
प्यार के बहुत चेहरे हैं !