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CHARLIE_
Guest
क्या लिखूं तेरी याद में
कभी लफ्ज़ न मिलते, कभी ख़्याल न मिलते
प्यार है !! कैसे बताऊं तुम्हें
कभी वक्त न मिलते तो कभी तुम ना मिलते
लिख भी लूं तो क्या फ़ायदा
तुम समझोगी नहीं, न मैं समझा पाऊंगा
मैं बोलूं भी तो क्या फ़ायदा
तुम सुनोगी नहीं न मैं सुना पाऊंगा
तकलीफ़ तो देखो मेरी
तुम्हारी आंखों में आंसू देख न सकता
कैसे छोड़ कर चला जाऊं
मेरी तरह कोई तुम्हे चाह न सकता
तुम कहती हो
न चाहो मुझे यूं दीवानों की तरह
अब देखो तो सही
शायरी करने लगा हूं शायरों की तरह
कभी लफ्ज़ न मिलते, कभी ख़्याल न मिलते
प्यार है !! कैसे बताऊं तुम्हें
कभी वक्त न मिलते तो कभी तुम ना मिलते
लिख भी लूं तो क्या फ़ायदा
तुम समझोगी नहीं, न मैं समझा पाऊंगा
मैं बोलूं भी तो क्या फ़ायदा
तुम सुनोगी नहीं न मैं सुना पाऊंगा
तकलीफ़ तो देखो मेरी
तुम्हारी आंखों में आंसू देख न सकता
कैसे छोड़ कर चला जाऊं
मेरी तरह कोई तुम्हे चाह न सकता
तुम कहती हो
न चाहो मुझे यूं दीवानों की तरह
अब देखो तो सही
शायरी करने लगा हूं शायरों की तरह