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पानी... मैं और तुम ❤️❤️

Rockzz ✨श्वेतराग✨

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
Senior's
Chat Pro User
ईश्वर ने जब सृष्टि को रचा
किसी भी चीज़ को
रंग से ख़ाली न रखा
छोड़ दिया बस पानी
बेरंग
बेस्वाद।

इस ज़्यादती पर
बहुत रोया पानी।

पानी घुल रहा था अपनी उदासियों में
और उदासियां घुल रही थीं
सृष्टि में।

कहां पता था पानी को
वो हर रंग में घुल जाएगा
हर तिश्नगी बुझाएगा।

कि अकल्पित रहेगा
जीवन उसके बिना।
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सृष्टि बननी थी, बनी
मैं बना
तुम बनी

फिर हम मिले ...

मुझे तुम भी

पानी जैसे ही लगी।।
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ईश्वर ने जब सृष्टि को रचा
किसी भी चीज़ को
रंग से ख़ाली न रखा
छोड़ दिया बस पानी
बेरंग
बेस्वाद।

इस ज़्यादती पर
बहुत रोया पानी।

पानी घुल रहा था अपनी उदासियों में
और उदासियां घुल रही थीं
सृष्टि में।

कहां पता था पानी को
वो हर रंग में घुल जाएगा
हर तिश्नगी बुझाएगा।

कि अकल्पित रहेगा
जीवन उसके बिना।
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सृष्टि बननी थी, बनी
मैं बना
तुम बनी

फिर हम मिले ...

मुझे तुम भी

पानी जैसे ही लगी।।

दान किए धन ना घटै, नदी ना घटै नीर
अपनी आंखों देखिए, यों कथि गए ‘कबीर’

ऊंचै पानी ना टिकै, नीचै ही ठहराय
नीचा होय सो भरि पिवै, ऊंचा प्यासा जाए
 
ईश्वर ने जब सृष्टि को रचा
किसी भी चीज़ को
रंग से ख़ाली न रखा
छोड़ दिया बस पानी
बेरंग
बेस्वाद।

इस ज़्यादती पर
बहुत रोया पानी।

पानी घुल रहा था अपनी उदासियों में
और उदासियां घुल रही थीं
सृष्टि में।

कहां पता था पानी को
वो हर रंग में घुल जाएगा
हर तिश्नगी बुझाएगा।

कि अकल्पित रहेगा
जीवन उसके बिना।
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सृष्टि बननी थी, बनी
मैं बना
तुम बनी

फिर हम मिले ...

मुझे तुम भी

पानी जैसे ही लगी।।
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वो धूप थी कि ज़मीं जल के राख हो जाती
बरस के अब के बड़ा काम कर गया पानी..
 
ईश्वर ने जब सृष्टि को रचा
किसी भी चीज़ को
रंग से ख़ाली न रखा
छोड़ दिया बस पानी
बेरंग
बेस्वाद।

इस ज़्यादती पर
बहुत रोया पानी।

पानी घुल रहा था अपनी उदासियों में
और उदासियां घुल रही थीं
सृष्टि में।

कहां पता था पानी को
वो हर रंग में घुल जाएगा
हर तिश्नगी बुझाएगा।

कि अकल्पित रहेगा
जीवन उसके बिना।
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सृष्टि बननी थी, बनी
मैं बना
तुम बनी

फिर हम मिले ...

मुझे तुम भी

पानी जैसे ही लगी।।
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यह कविता गहन और संवेदनशील है। इसमें पानी की अनोखी और सर्वव्यापी प्रकृति को बहुत खूबसूरती से प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। जैसे पानी रंगहीन होते हुए भी हर रंग में घुल जाता है और हर प्यास बुझाता है, वैसे ही यह कविता बारीकी से रिश्तों की गहराई और सच्चाई को उजागर करती है। पानी की उदासी और उसकी महत्ता को बहुत सुंदरता से पेश किया गया है, और अंतिम पंक्तियों में जब इसकी तुलना किसी से की जाती है, तो कविता एक गहरे भावनात्मक स्तर पर पहुंच जाती है।
 
यह कविता गहन और संवेदनशील है। इसमें पानी की अनोखी और सर्वव्यापी प्रकृति को बहुत खूबसूरती से प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। जैसे पानी रंगहीन होते हुए भी हर रंग में घुल जाता है और हर प्यास बुझाता है, वैसे ही यह कविता बारीकी से रिश्तों की गहराई और सच्चाई को उजागर करती है। पानी की उदासी और उसकी महत्ता को बहुत सुंदरता से पेश किया गया है, और अंतिम पंक्तियों में जब इसकी तुलना किसी से की जाती है, तो कविता एक गहरे भावनात्मक स्तर पर पहुंच जाती है।
हृदय की गहराइयों से अनेक धन्यवाद आपको...

आपने न सिर्फ इस कविता को समझा अपितु जिस प्रकार से व्याख्या किया अतुल्य है। और जिस प्रकार आपने उस रिश्ते को समझा काबिले तारीफ है।

कवि ने तो बस अपने भावनाओ को शब्दों में पिरोया है। आपके सप्रसंग व्याख्या ने इसे और जीवंत बना दिया।
 
हृदय की गहराइयों से अनेक धन्यवाद आपको...

आपने न सिर्फ इस कविता को समझा अपितु जिस प्रकार से व्याख्या किया अतुल्य है। और जिस प्रकार आपने उस रिश्ते को समझा काबिले तारीफ है।

कवि ने तो बस अपने भावनाओ को शब्दों में पिरोया है। आपके सप्रसंग व्याख्या ने इसे और जीवंत बना दिया।

आपके इस दिल से निकले हुए शब्दों के लिए तहे दिल से आभार। आपकी कविता की गहराई और उसमें छिपी भावनाओं को समझकर व्याख्या करना मेरे लिए एक सम्मान की बात है। कवि के शब्दों में जो भावनाएँ झलकती हैं, वे दिल से महसूस किए जाते हैं, और मुझे खुशी है कि मैं इसे और जीवंत बना सका।

आपकी कविताएँ अपने आप में एक अनमोल धरोहर हैं।
 
आपके इस दिल से निकले हुए शब्दों के लिए तहे दिल से आभार। आपकी कविता की गहराई और उसमें छिपी भावनाओं को समझकर व्याख्या करना मेरे लिए एक सम्मान की बात है। कवि के शब्दों में जो भावनाएँ झलकती हैं, वे दिल से महसूस किए जाते हैं, और मुझे खुशी है कि मैं इसे और जीवंत बना सका।

आपकी कविताएँ अपने आप में एक अनमोल धरोहर हैं।
धन्यवाद आपका
 
न मैं कोइ रंग ना कोई पानी हूँ
मैं तो अपनी मनमौजी की रानी हूँ
ना मैं............

चलू मैं जो अपनी ढंग से
न रंगना हैँ मुझें दूसरे के रंग से
ऐसी रंग रंगोलिया से अंजानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ


मेरी सोच की अलग सी नूर हैं
ज़माने की सोच से बहुत दूर हैँ
न मैं दीवानो की दीवानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ

मुझ में न पकड़ हैँ किसी की
न मुझमें नक़ल है किसी की
न किसी की हीर न मस्तानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ

न मे मीरा हूँ न मैं राधा हूँ
न मे शक्ति की जैसे आधा हूँ
जो भी आके लिखें
न मैं उसकी कहानी हूँ
न मैं रंग न कोई पानी हूँ

मैं तो अपनी मनमौजी की रानी हूँ
:emo::emo::smoking::smoking:
 
न मैं कोइ रंग ना कोई पानी हूँ
मैं तो अपनी मनमौजी की रानी हूँ
ना मैं............


चलू मैं जो अपनी ढंग से
न रंगना हैँ मुझें दूसरे के रंग से
ऐसी रंग रंगोलिया से अंजानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ


मेरी सोच की अलग सी नूर हैं
ज़माने की सोच से बहुत दूर हैँ
न मैं दीवानो की दीवानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ

मुझ में न पकड़ हैँ किसी की
न मुझमें नक़ल है किसी की
न किसी की हीर न मस्तानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ

न मे मीरा हूँ न मैं राधा हूँ
न मे शक्ति की जैसे आधा हूँ
जो भी आके लिखें
न मैं उसकी कहानी हूँ
न मैं रंग न कोई पानी हूँ

मैं तो अपनी मनमौजी की रानी हूँ
:emo::emo::smoking::smoking:
अदभुत, अदभुतम, अदभुतास :clapping:

यही तो हर बार कहा हमने भी
ना तू राधा बनना, ना ही मीरा बनना,
कभी आधी अधूरी नहीं रहना
बस जो भी बनना पूरा का पूरा बनना।।

और मेरी भी एक बात आज सुन
बनना ही है तो बन जा मेरी धुन,
ना दीवानी चाहिए ना ही मस्तानी
बुनना है तो नए ख्वाब बुन, कहानी खुद चुन।।

ना कोई रंग बन ना ही पानी
बनना है तो बनो मौजों की रवानी,
सबसे अलग सबकी सोच से दूर
बनो तुम किसी की जिंदगी बिन हुए मजबूर।।

और क्या कहा की कोई रंग नहीं हो


तो याद रखना कि


रंग देंगे फिर से तुझे अपने प्यार के रंग में
होली का एक मौसम ही तो बीता है।
 
Last edited:
न मैं कोइ रंग ना कोई पानी हूँ
मैं तो अपनी मनमौजी की रानी हूँ
ना मैं............


चलू मैं जो अपनी ढंग से
न रंगना हैँ मुझें दूसरे के रंग से
ऐसी रंग रंगोलिया से अंजानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ


मेरी सोच की अलग सी नूर हैं
ज़माने की सोच से बहुत दूर हैँ
न मैं दीवानो की दीवानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ

मुझ में न पकड़ हैँ किसी की
न मुझमें नक़ल है किसी की
न किसी की हीर न मस्तानी हूँ
न मैं कोई रंग न कोई पानी हूँ

न मे मीरा हूँ न मैं राधा हूँ
न मे शक्ति की जैसे आधा हूँ
जो भी आके लिखें
न मैं उसकी कहानी हूँ
न मैं रंग न कोई पानी हूँ

मैं तो अपनी मनमौजी की रानी हूँ
:emo::emo::smoking::smoking:
मनमौजी मानुष अपनी ही दुनिया में रमा रहे,
अपनी ही कहे अपनी ही सुने!
ना समझ सके वो छल कपट दुनिया के,
इन सबसे वो दूर रहे!
चाहे हो अनजानी डगर,
चले झूमता, हो जैसे कोई मस्त मलंग!
मन उसका रहे बांवरा सदा ही,
कभी रहे मौन तो कभी शोर करे!
मनमौजी मानुष अपनी ही दुनिया में रमा रहे!
 
अदभुत, अदभुतम, अदभुतास :clapping:

यही तो हर बार कहा हमने भी
ना तू राधा बनना, ना ही मीरा बनना,
कभी आधी अधूरी नहीं रहना
बस जो भी बनना पूरा का पूरा बनना।।

और मेरी भी एक बात आज सुन
बनना ही है तो बन जा मेरी धुन,
ना दीवानी चाहिए ना ही मस्तानी
बुनना है तो नए ख्वाब बुन, कहानी खुद चुन।।

ना कोई रंग बन ना ही पानी
बनना है तो बनो मौजों की रवानी,
सबसे अलग सबकी सोच से दूर
बनो तुम किसी की जिंदगी बिन हुए मजबूर।।

और क्या कहा की कोई रंग नहीं हो


तो याद रखना कि


रंग देंगे फिर से तुझे अपने प्यार के रंग में
होली का एक मौसम ही तो बीता है।

अपने ही रंग में रंग दे मुझ को
रंग कोरा मुझ से अब सहा न जाए
मारने लगा है हिलोरे जोबन
तेरे बिना तो मुझसे अब रहा न जाए

कोरी कोरी चुनर मेरी पुकार रही तुझे
दे दे कर आवाज़
अपने ही रंग में रंग दे मुझको
पहना दे सिर पर सिंदूरी ताज

महीना फागुन का अब आ गया
दर्द जुदाई का अब न सह पाऊंगी
ये बेरंग ज़िंदगी नहीं जी पा रही
तेरे प्यार के रंग बिना न रह पाऊंगी

नहीं रोकूंगी तुझे आज मै साजन
भिगो दे मुझे प्यार की रंगीन बरसात में
गले मिल कर उडेल दे हर रंग आज
तू भी भीग ना साजन आज मेरे साथ में
 
यही तो हर बार कहा हमने भी
ना तू राधा बनना, ना ही मीरा बनना,
कभी आधी अधूरी नहीं रहना
बस जो भी बनना पूरा का पूरा बनना।।

और मेरी भी एक बात आज सुन
बनना ही है तो बन जा मेरी धुन,
ना दीवानी चाहिए ना ही मस्तानी
बुनना है तो नए ख्वाब बुन, कहानी खुद चुन।।

ना कोई रंग बन ना ही पानी
बनना है तो बनो मौजों की रवानी,
सबसे अलग सबकी सोच से दूर
बनो तुम किसी की जिंदगी बिन हुए मजबूर।।

और क्या कहा की कोई रंग नहीं हो


तो याद रखना कि


रंग देंगे फिर से तुझे अपने प्यार के रंग में
होली का एक मौसम ही तो बीता है।
जो उतरे रंग मैं ना लगाति :Dtm:
बे- रंग ही मे खुदको साजाती :makeup:
 
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