ऐसी मलहम बना कहा जो दिल की घाउ भरेतीर और तलवार से मृत्यु होगी एक बार
बार बार तड़पता है ये शब्दों से किया वार
कोई इलाज नहीं मिलता फिर इससे बचने का
दुख में सोचो कैसे करता होगा प्यार का इजहार
बचाना है तो फिर से शब्दों के मरहम लगा दो
वरना यूहीं तिल तिल कर मरता रहेगा बार बार
किसी की दुआ और दवा का भी असर नहीं होता
फिर क्यों चलाते हो ऐसे शब्दों के तीर-तलवार।
तिल तिल के मर रहा है दिल, करें तो भी क्या करें
बेगाना सा होरहा हैँ, ये दिल रों रहा हैँ
आँखो मे आंसुओ को भरे हुए