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जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

00Wolfie00

Wellknown Ace
मख़सूस कर रखा है ज़्यादा समझ खुद जबकि दुबला नही,
टूट जाता तो धक्कों से सिर्फ वो कच्ची मिट्टी का गमला नही।

खो दिया है जो अर्सों से कोई अहबाब रहा,
क्या हुआ जो हाफ़िज़ मेरा अब तलक संभला नही।

बरसो गिराते रहे ज़ुबां से जो मिर्च सा लगे,
है कोई अफ़सना मेरा वो तुझपे किया हमला नही।

जीते रहे हो अब तलक फ़कत ज़िन्दगी नही है ये,
मान लो है ये जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

क्या हाल किया है तूने मेरी सख्सियत का ए मुन्तज़िर,

बड़ा संगीन है मेरी ज़िन्दगी का किस्सा ये कोई जुमला नही।

(दर्द का अगर कोई हिसाब होता तो कितना अच्छा होता ना
फक़त मर जाना ही जवाब होता तो कितना अच्छा होता ना)


( मख़सूस - special, but used as distinguish
अर्सों - a long time
अहबाब - friend/lover
हाफ़िज़ - protector
अफ़सना - tale
फ़कत - only
सख्सियत - personality
जुमला - joke
मुन्तज़िर - awaiting, also my pen name)
 
Last edited:
मख़सूस कर रखा है ज़्यादा समझ खुद जबकि दुबला नही,
टूट जाता तो धक्कों से सिर्फ वो कच्ची मिट्टी का गमला नही।

खो दिया है जो अर्सों से कोई अहबाब रहा,
क्या हुआ जो हाफ़िज़ मेरा अब तलक संभला नही।

बरसो गिराते रहे ज़ुबां से जो मिर्च सा लगे,
है कोई अफ़सना मेरा वो तुझपे किया हमला नही।

जीते रहे हो अब तलक फ़कत ज़िन्दगी नही है ये,
मान लो है ये जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

क्या हाल किया है तूने मेरी सख्सियत का ए मुन्तज़िर,

बड़ा संगीन है मेरी ज़िन्दगी का किस्सा ये कोई जुमला नही।

(दर्द का अगर कोई हिसाब होता तो कितना अच्छा होता ना
फक़त मर जाना ही जवाब होता तो कितना अच्छा होता ना)

Wow! Good one as always.
i just have one request - please add some meanings at the end so people like me can understand well. Ty!
Keep sharing them
:heart1:
 
मख़सूस कर रखा है ज़्यादा समझ खुद जबकि दुबला नही,
टूट जाता तो धक्कों से सिर्फ वो कच्ची मिट्टी का गमला नही।

खो दिया है जो अर्सों से कोई अहबाब रहा,
क्या हुआ जो हाफ़िज़ मेरा अब तलक संभला नही।

बरसो गिराते रहे ज़ुबां से जो मिर्च सा लगे,
है कोई अफ़सना मेरा वो तुझपे किया हमला नही।

जीते रहे हो अब तलक फ़कत ज़िन्दगी नही है ये,
मान लो है ये जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

क्या हाल किया है तूने मेरी सख्सियत का ए मुन्तज़िर,

बड़ा संगीन है मेरी ज़िन्दगी का किस्सा ये कोई जुमला नही।

(दर्द का अगर कोई हिसाब होता तो कितना अच्छा होता ना
फक़त मर जाना ही जवाब होता तो कितना अच्छा होता ना)
Good one but I didn't fully understand this, if possible add short note kinda smtg at the end :D
 
मख़सूस कर रखा है ज़्यादा समझ खुद जबकि दुबला नही,
टूट जाता तो धक्कों से सिर्फ वो कच्ची मिट्टी का गमला नही।

खो दिया है जो अर्सों से कोई अहबाब रहा,
क्या हुआ जो हाफ़िज़ मेरा अब तलक संभला नही।

बरसो गिराते रहे ज़ुबां से जो मिर्च सा लगे,
है कोई अफ़सना मेरा वो तुझपे किया हमला नही।

जीते रहे हो अब तलक फ़कत ज़िन्दगी नही है ये,
मान लो है ये जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

क्या हाल किया है तूने मेरी सख्सियत का ए मुन्तज़िर,

बड़ा संगीन है मेरी ज़िन्दगी का किस्सा ये कोई जुमला नही।

(दर्द का अगर कोई हिसाब होता तो कितना अच्छा होता ना
फक़त मर जाना ही जवाब होता तो कितना अच्छा होता ना)
Wow nice
 
मख़सूस कर रखा है ज़्यादा समझ खुद जबकि दुबला नही,
टूट जाता तो धक्कों से सिर्फ वो कच्ची मिट्टी का गमला नही।

खो दिया है जो अर्सों से कोई अहबाब रहा,
क्या हुआ जो हाफ़िज़ मेरा अब तलक संभला नही।

बरसो गिराते रहे ज़ुबां से जो मिर्च सा लगे,
है कोई अफ़सना मेरा वो तुझपे किया हमला नही।

जीते रहे हो अब तलक फ़कत ज़िन्दगी नही है ये,
मान लो है ये जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

क्या हाल किया है तूने मेरी सख्सियत का ए मुन्तज़िर,

बड़ा संगीन है मेरी ज़िन्दगी का किस्सा ये कोई जुमला नही।

(दर्द का अगर कोई हिसाब होता तो कितना अच्छा होता ना
फक़त मर जाना ही जवाब होता तो कितना अच्छा होता ना)
Bahot khoob
 
मख़सूस कर रखा है ज़्यादा समझ खुद जबकि दुबला नही,
टूट जाता तो धक्कों से सिर्फ वो कच्ची मिट्टी का गमला नही।

खो दिया है जो अर्सों से कोई अहबाब रहा,
क्या हुआ जो हाफ़िज़ मेरा अब तलक संभला नही।

बरसो गिराते रहे ज़ुबां से जो मिर्च सा लगे,
है कोई अफ़सना मेरा वो तुझपे किया हमला नही।

जीते रहे हो अब तलक फ़कत ज़िन्दगी नही है ये,
मान लो है ये जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

क्या हाल किया है तूने मेरी सख्सियत का ए मुन्तज़िर,

बड़ा संगीन है मेरी ज़िन्दगी का किस्सा ये कोई जुमला नही।

(दर्द का अगर कोई हिसाब होता तो कितना अच्छा होता ना

फक़त मर जाना ही जवाब होता तो कितना अच्छा होता ना)

( मख़सूस - special, but used as distinguish
अर्सों - a long time
अहबाब - friend/lover
हाफ़िज़ - protector
अफ़सना - tale
फ़कत - only
सख्सियत - personality
जुमला - joke
मुन्तज़िर - awaiting, also my pen name)
Nice
 
मख़सूस कर रखा है ज़्यादा समझ खुद जबकि दुबला नही,
टूट जाता तो धक्कों से सिर्फ वो कच्ची मिट्टी का गमला नही।

खो दिया है जो अर्सों से कोई अहबाब रहा,
क्या हुआ जो हाफ़िज़ मेरा अब तलक संभला नही।

बरसो गिराते रहे ज़ुबां से जो मिर्च सा लगे,
है कोई अफ़सना मेरा वो तुझपे किया हमला नही।

जीते रहे हो अब तलक फ़कत ज़िन्दगी नही है ये,
मान लो है ये जीना मेरा भी कोई बड़ा मसला नही।

क्या हाल किया है तूने मेरी सख्सियत का ए मुन्तज़िर,

बड़ा संगीन है मेरी ज़िन्दगी का किस्सा ये कोई जुमला नही।

(दर्द का अगर कोई हिसाब होता तो कितना अच्छा होता ना

फक़त मर जाना ही जवाब होता तो कितना अच्छा होता ना)

( मख़सूस - special, but used as distinguish
अर्सों - a long time
अहबाब - friend/lover
हाफ़िज़ - protector
अफ़सना - tale
फ़कत - only
सख्सियत - personality
जुमला - joke
मुन्तज़िर - awaiting, also my pen name)
Great
 
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