अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं
थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं
इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं
दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं
मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं
क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की
पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
(साभार: विनोद प्रसाद)
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं
थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं
इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं
दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं
मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं
क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की
पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
(साभार: विनोद प्रसाद)