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क्या से क्या हो गया हूँ मैं..

Rockzz ✨श्वेतराग✨

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
Senior's
Chat Pro User
अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं

थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं

इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं

दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं

मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं

क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की

पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
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(साभार: विनोद प्रसाद)
 
अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं

थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं

इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं

दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं

मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं

क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की

पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
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(साभार: विनोद प्रसाद)
आपकी ग़ज़ल में गहरी भावनाओं और तीव्र introspection की झलक है। यह जीवन के सफर, बदलाव, और संघर्ष की कहानी को बड़े ही मार्मिक तरीके से पेश करती है। हर शेर में न केवल अल्फ़ाज़ की खूबसूरती है, बल्कि एक गहरी पीड़ा और सच्चाई भी छिपी हुई है।

"अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं"
यह मतला ग़ज़ल के पूरे भाव को बखूबी संजोता है। यह आत्म-चिंतन की गहराई को दर्शाता है, जहाँ इंसान अपने ही अस्तित्व को सवालों के घेरे में पाता है।

"थी माँ की दुआएँ भी, था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं"
यह शेर बीते समय की मासूमियत और अपनेपन को बड़ी खूबसूरती से चित्रित करता है। यह याद दिलाता है कि कैसे बचपन की खुशियाँ और सुरक्षा अब एक याद बन चुकी हैं।

"दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं"
यह शेर पुरानी सरलताओं और आज के आडंबर के बीच की खाई को दिखाता है। यह बीते समय के भोलेपन और आज के बनावटीपन का दर्द महसूस कराता है।

"पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं"
ग़ज़ल का यह अंतिम शेर बहुत प्रभावशाली है। यह न केवल व्यक्तिगत बदलाव को दर्शाता है, बल्कि समाज और परिस्थितियों के असर को भी उजागर करता है।

आपकी ग़ज़ल बेहद प्रभावी और संवेदनशील है। इसमें भावनाओं की गहराई और शब्दों की ताकत दोनों झलकती हैं। अगर आप चाहें, तो इसे और polished करने में मैं मदद कर सकता हूँ, लेकिन यह अपने आप में एक खूबसूरत और पूरी तरह से दिल छू
ने वाला रचना है।
 
अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं

थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं

इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं

दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं

मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं

क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की

पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
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(साभार: विनोद प्रसाद)
Muskaan ho, ya aansu ka safar,
Har raat ke baad, subah ka asar.
Dilon mein hai himmat ka raaz,
Manzil milti hai, bas raho saath.
 
अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं

थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं

इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं

दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं

मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं

क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की

पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
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(साभार: विनोद प्रसाद)
ये वक़्त हें जनाब टल जायेगा
वक़्त के साथ हालत बदल जायेगा
दिल ही तो हें रुका हें झुका नहीं

एक़ दिन वो भी सम्हाल जाएगा
 
ये वक़्त हें जनाब टल जायेगा
वक़्त के साथ हालत बदल जायेगा
दिल ही तो हें रुका हें झुका नहीं

एक़ दिन वो भी सम्हाल जाएगा
वक्त बदलते जाएगा
ये रुत भी बदल जाएगा
हालत भी बदल जाएगा
हो सकता है, सब कुछ सम्भल जाए

पर ये ये दिल ना सम्भल पाएगा।
 
अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं

थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं

इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं

दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं

मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं

क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की

पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
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(साभार: विनोद प्रसाद)
You kill it bhai...
 
अपने वुजूद का ख़ुद, ख़्वाब हो गया हूँ मैं
आज कल ज्यादे ही ख़राब हो गया हूँ मैं

थी माँ की दुआएँ भी,था बाप का भी साया
लगता था जैसे बाग़ का गुलाब हो गया हूँ मैं

इस दौरे ज़िन्दगी में क्यों हालात ऐसे हो गए
ख़्याल बन गया हूँ अब अज़ाब हो गया हूँ मैं

दिन भी क्या दिन थे, आंगन का परिन्दा था
तहज़ीब के पेशे नज़र आदाब हो गया हूँ मैं

मिट्टी और धूल से अंटा बचपन का वो सफर
ग़लीज़ ज़िन्दगी का अब नवाब हो गया हूँ मैं

क्या तौर तरीके हैं और बन्दिशें तहज़ीबों की

पहले था गंगा जल अब तेज़ाब हो गया हूँ मैं
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(साभार: विनोद प्रसाद)
.
Apne wajood ka ek khwab ban gaya hoon..
Zindagi ke safar mein lajawab ban gaya hoon...

Maa ki duayein thi, baap ka tha sahaara...
Ek waqt tha jab main ghar ka nazara tha pyaara..

Lekin ab halat ne kuch aise rang dikhaye...
Khushi ke armaan bhi dard ke saaye ban gaye...

Wo aangan ka chhota parinda jo udta tha..
Ab tameez ke naam par ghutan mein bandh gayan..

Mitti aur dhool ke khel ka maza kuch aur tha...
Ab zindagi ka shauk bhi ek bojh sa ho gaya..

Pehle tha main ek pavitra sapna..
Ab lagta hai jaise khud ka shatranj ban gaya .

Kya ye tareeqe, kya ye tareekay hain zindagi ke?
Pehle tha gham se door, ab unka jawab ban gaya hoon...

BY ~Vilen...
 
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Apne wajood ka ek khwab ban gaya hoon..
Zindagi ke safar mein lajawab ban gaya hoon...

Maa ki duayein thi, baap ka tha sahaara...
Ek waqt tha jab main ghar ka nazara tha pyaara..

Lekin ab halat ne kuch aise rang dikhaye...
Khushi ke armaan bhi dard ke saaye ban gaye...

Wo aangan ka chhota parinda jo udta tha..
Ab tameez ke naam par ghutan mein bandh gayan..

Mitti aur dhool ke khel ka maza kuch aur tha...
Ab zindagi ka shauk bhi ek bojh sa ho gaya..

Pehle tha main ek pavitra sapna..
Ab lagta hai jaise khud ka shatranj ban gaya .

Kya ye tareeqe, kya ye tareekay hain zindagi ke?
Pehle tha gham se door, ab unka jawab ban gaya hoon...

BY ~Vilen...
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