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कविताएं

ऐ दिल
क्यों परेशान करता है
तू यूं मुझे हर बार
बात मेरी तनिक नहीं सुनता
रहता है हर वक्त बेकरार..!!

तुझे तकलीफ होती है
तो खुश मैं भी नहीं रहता
दर्द तुझे होता है
मेरी आंखे रोती हैं बेज़ार...!!

कभी खुद का भी सोच
नहीं तो सोच मेरा एकबार
धड़कता रहता है किसी के लिए
सिर्फ मेरे लिए तो धड़क एकबार..!!

कौन सुनने वाला है
तेरी इस बेवजह की धड़क
एक मैं ही तो हूं जो
सुनता और महसूस करता है बार बार...!!

बहुत हो गया तड़पना
अब बंद कर दे उस धड़क को
फिर तू चैन से रहे
या फिर मैं ही चैन से सो जाऊं...!!

सुन ले मेरी भी बात
ना रहा कर तू इतना बेजार
जिसके लिए धड़कता है इतना
वो भी तो हो तेरे लिए ऐसे बेकरार...!!

एक बार संभाला था तुझे टूटने पे
दोबारा नहीं संभालूंगा
तेरे इस हाल को देख
दिमाग से भी होने लगी है तकरार...!!

अब तो सपने भी खाली से लगने लगे
आंखों की नींदें भी उड़ गई
कब समझ पायेगी वो तुझे
नहीं होता अब तनिक भी इंतजार...!!

ऐ दिल
माना प्यार देना अधिकार है तेरा
पर जो तुझे समझ न सके
फिर कैसा प्यार, कैसा इजहार
यही बस समझाना था आखिरी बार...!!
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आज कल बादल रोज़ आते हैं
और बिना बरसे ही चले जाते हैं ।

मैं रोज़ देखता हूं उन्हें
ऐसा करते हुए
और सोचता हूं
कि बादलों को कितना मोह है

अपनी बूंदों से ।

जाने देना
कितना मुश्किल है
किसी के लिए भी ।।

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कविताएँ लिखी जाती है,
एक गुमनाम, चिट्ठी की तरह !!
जो, किसी शहर, गाँव, या,
किसी एक पते पर नहीं भेजी जाती !!
ये ठहरती है, उस,
दिल की सतह पर,
जो इन्हें पढ़ता है,
महसूस करता है!!
और फिर ये उसे,
अपना, ठिकाना बना लेती हैं!!
Sahi
 
कविताएँ कितनी कमाल
की चीज़
होती हैं
ये भावनाओं से भरे,
शब्दों से गुँथे कविताएँ।


किसके लिये किसे सोचकर
लिखा जाता हैं
ये अक्सर उन संवेदनहीन
इंसानों के लिये होते हैं
जिन्हें शब्द सुनाई नहीं देते

अर्थ समझ नहीं आता।

मौन समझ नहीं आता
दिल समझा नहीं पाता
आँसुओं का असर दूर
तक नहीं होता
पीड़ा जिसे दिखाई नहीं
देती।

फिर भी कोई एक उम्मीद
शायद कोई शब्द समझ
आ जाये
कविताओं के ज़रिए।

ये कवि का ही कमाल है कि
नाउम्मीदी के समंदर में भी
बहुत कमाल के शब्दो को पिरोता है
और अपने मन के अंदर उम्मीद के
दीपक को बुझने नही देता।
 
कविताएँ लिखी जाती है,
एक गुमनाम, चिट्ठी की तरह !!
जो, किसी शहर, गाँव, या,
किसी एक पते पर नहीं भेजी जाती !!
ये ठहरती है, उस,
दिल की सतह पर,
जो इन्हें पढ़ता है,
महसूस करता है!!
और फिर ये उसे,
अपना, ठिकाना बना लेती हैं!!
Wahh bhai nice
 
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