मासूम सी मोहब्बत का बस इतना सा फ़साना है
कागज की हवेली है, बारिश का ज़माना है।
क्या शर्त-ए-मोहब्बत है, क्या शर्त-ए-ज़माना है
आवाज़ भी जख्मी है और वो गीत भी गाना है।
उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है
कश्ती भी पुरानी है, तूफ़ान भी आना है।
समझे या न समझे वो अंदाज़-ए-मोहब्बत का
भीगी हुई आँखों से एक शेर सुनाना है।
भोली सी अदा, कोई फिर इश्क की जिद पर है
फिर आग का दरिया है और डूब ही जाना है।
कागज की हवेली है, बारिश का ज़माना है।
क्या शर्त-ए-मोहब्बत है, क्या शर्त-ए-ज़माना है
आवाज़ भी जख्मी है और वो गीत भी गाना है।
उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है
कश्ती भी पुरानी है, तूफ़ान भी आना है।
समझे या न समझे वो अंदाज़-ए-मोहब्बत का
भीगी हुई आँखों से एक शेर सुनाना है।
भोली सी अदा, कोई फिर इश्क की जिद पर है
फिर आग का दरिया है और डूब ही जाना है।