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आंसुओं के कतरे

00Wolfie00

Wellknown Ace
मैंने आंसुओं को कतरा कतरा कर के इकट्ठा कर के छुपा रखा हैं अपने सीने के करीब किसी कोने में, और इसी उम्मीद में सांसें गिन रहा हूं की किसी रोज़ मुझे वो ख़ाली बादल नज़र आयेंगे जिनमे मैं अपने आंसुओं के कतरों को घर करूंगा।

फिर मेरी जो आजमाइश हुई हैं, उसकी एक पुरज़ोर हवा चलेगी। मेरी आंखें मैं बोऊंगा, बंजर से ही सही पर ख़यालों की मिट्टी के तले और उस हवा से मेरे आंसुओं से भरे बादल तैर कर आयेंगे, और बारिश होगी। फिर पनपेंगे पौधे, जिसमे तेरे चेहरे खिलेंगे और मैं इसकी बागबानी करूंगा। मैं इन चेहरों को मुरझाने से बचाऊंगा, इन्हे आंसुओं से सींचूंगा और इनसे सादगी और बेपरवाही की जो खुशबू आयेगी उसे जियूंगा।


पर तब तलक, मैं अपने आंसुओं के कतरों को अपने सीने में कहीं छिपा कर रखूंगा।

(I have collected tears drop by drop and hidden them in some corner close to my chest, and I am counting my breaths in the hope that someday I will see those empty clouds in which I will house my tears.

Then a strong wind of my trials will blow. I will sow my eyes, right from the barren but under the soil of thoughts and from that wind clouds full of my tears will float, and it will rain. Then plants will flourish, in which your face will bloom and I will do its gardening. I will save these faces from withering, water them with tears and live the fragrance of simplicity and indifference that emanates from them.

But till then, I will keep my teardrops hidden somewhere in my chest.)
 
Last edited:
मैंने आंसुओं को कतरा कतरा कर के इकट्ठा कर के छुपा रखा हैं अपने सीने के करीब किसी कोने में, और इसी उम्मीद में सांसें गिन रहा हूं की किसी रोज़ मुझे वो ख़ाली बादल नज़र आयेंगे जिनमे मैं अपने आंसुओं के कतरों को घर करूंगा।

फिर मेरी जो आजमाइश हुई हैं, उसकी एक पुरज़ोर हवा चलेगी। मेरी आंखें मैं बोऊंगा, बंजर से ही सही पर ख़यालों की मिट्टी के तले और उस हवा से मेरे आंसुओं से भरे बादल तैर कर आयेंगे, और बारिश होगी। फिर पनपेंगे पौधे, जिसमे तेरे चेहरे खिलेंगे और मैं इसकी बागबानी करूंगा। मैं इन चेहरों को मुरझाने से बचाऊंगा, इन्हे आंसुओं से सींचूंगा और इनसे सादगी और बेपरवाही की जो खुशबू आयेगी उसे जियूंगा।


पर तब तलक, मैं अपने आंसुओं के कतरों को अपने सीने में कहीं छिपा कर रखूंगा।

(I have collected tears drop by drop and hidden them in some corner close to my chest, and I am counting my breaths in the hope that someday I will see those empty clouds in which I will house my tears.

Then a strong wind of my trials will blow. I will sow my eyes, right from the barren but under the soil of thoughts and from that wind clouds full of my tears will float, and it will rain. Then plants will flourish, in which your face will bloom and I will do its gardening. I will save these faces from withering, water them with tears and live the fragrance of simplicity and indifference that emanates from them.

But till then, I will keep my teardrops hidden somewhere in my chest.)
Hidden eh ?
Time for treasure hunt
Bring it on ! :giggle:


:blessing: You are good Wolf kun
 
मैंने आंसुओं को कतरा कतरा कर के इकट्ठा कर के छुपा रखा हैं अपने सीने के करीब किसी कोने में, और इसी उम्मीद में सांसें गिन रहा हूं की किसी रोज़ मुझे वो ख़ाली बादल नज़र आयेंगे जिनमे मैं अपने आंसुओं के कतरों को घर करूंगा।

फिर मेरी जो आजमाइश हुई हैं, उसकी एक पुरज़ोर हवा चलेगी। मेरी आंखें मैं बोऊंगा, बंजर से ही सही पर ख़यालों की मिट्टी के तले और उस हवा से मेरे आंसुओं से भरे बादल तैर कर आयेंगे, और बारिश होगी। फिर पनपेंगे पौधे, जिसमे तेरे चेहरे खिलेंगे और मैं इसकी बागबानी करूंगा। मैं इन चेहरों को मुरझाने से बचाऊंगा, इन्हे आंसुओं से सींचूंगा और इनसे सादगी और बेपरवाही की जो खुशबू आयेगी उसे जियूंगा।


पर तब तलक, मैं अपने आंसुओं के कतरों को अपने सीने में कहीं छिपा कर रखूंगा।

(I have collected tears drop by drop and hidden them in some corner close to my chest, and I am counting my breaths in the hope that someday I will see those empty clouds in which I will house my tears.

Then a strong wind of my trials will blow. I will sow my eyes, right from the barren but under the soil of thoughts and from that wind clouds full of my tears will float, and it will rain. Then plants will flourish, in which your face will bloom and I will do its gardening. I will save these faces from withering, water them with tears and live the fragrance of simplicity and indifference that emanates from them.

But till then, I will keep my teardrops hidden somewhere in my chest.)
Aansoo ki kahani sirf itni h jo samjho to moti hai na samjho to pani hai
 
मैंने आंसुओं को कतरा कतरा कर के इकट्ठा कर के छुपा रखा हैं अपने सीने के करीब किसी कोने में, और इसी उम्मीद में सांसें गिन रहा हूं की किसी रोज़ मुझे वो ख़ाली बादल नज़र आयेंगे जिनमे मैं अपने आंसुओं के कतरों को घर करूंगा।

फिर मेरी जो आजमाइश हुई हैं, उसकी एक पुरज़ोर हवा चलेगी। मेरी आंखें मैं बोऊंगा, बंजर से ही सही पर ख़यालों की मिट्टी के तले और उस हवा से मेरे आंसुओं से भरे बादल तैर कर आयेंगे, और बारिश होगी। फिर पनपेंगे पौधे, जिसमे तेरे चेहरे खिलेंगे और मैं इसकी बागबानी करूंगा। मैं इन चेहरों को मुरझाने से बचाऊंगा, इन्हे आंसुओं से सींचूंगा और इनसे सादगी और बेपरवाही की जो खुशबू आयेगी उसे जियूंगा।


पर तब तलक, मैं अपने आंसुओं के कतरों को अपने सीने में कहीं छिपा कर रखूंगा।

(I have collected tears drop by drop and hidden them in some corner close to my chest, and I am counting my breaths in the hope that someday I will see those empty clouds in which I will house my tears.

Then a strong wind of my trials will blow. I will sow my eyes, right from the barren but under the soil of thoughts and from that wind clouds full of my tears will float, and it will rain. Then plants will flourish, in which your face will bloom and I will do its gardening. I will save these faces from withering, water them with tears and live the fragrance of simplicity and indifference that emanates from them.

But till then, I will keep my teardrops hidden somewhere in my chest.)
Bahut achhi hai
 
मैंने आंसुओं को कतरा कतरा कर के इकट्ठा कर के छुपा रखा हैं अपने सीने के करीब किसी कोने में, और इसी उम्मीद में सांसें गिन रहा हूं की किसी रोज़ मुझे वो ख़ाली बादल नज़र आयेंगे जिनमे मैं अपने आंसुओं के कतरों को घर करूंगा।

फिर मेरी जो आजमाइश हुई हैं, उसकी एक पुरज़ोर हवा चलेगी। मेरी आंखें मैं बोऊंगा, बंजर से ही सही पर ख़यालों की मिट्टी के तले और उस हवा से मेरे आंसुओं से भरे बादल तैर कर आयेंगे, और बारिश होगी। फिर पनपेंगे पौधे, जिसमे तेरे चेहरे खिलेंगे और मैं इसकी बागबानी करूंगा। मैं इन चेहरों को मुरझाने से बचाऊंगा, इन्हे आंसुओं से सींचूंगा और इनसे सादगी और बेपरवाही की जो खुशबू आयेगी उसे जियूंगा।


पर तब तलक, मैं अपने आंसुओं के कतरों को अपने सीने में कहीं छिपा कर रखूंगा।

(I have collected tears drop by drop and hidden them in some corner close to my chest, and I am counting my breaths in the hope that someday I will see those empty clouds in which I will house my tears.

Then a strong wind of my trials will blow. I will sow my eyes, right from the barren but under the soil of thoughts and from that wind clouds full of my tears will float, and it will rain. Then plants will flourish, in which your face will bloom and I will do its gardening. I will save these faces from withering, water them with tears and live the fragrance of simplicity and indifference that emanates from them.

But till then, I will keep my teardrops hidden somewhere in my chest.)
Nice
 
मैंने आंसुओं को कतरा कतरा कर के इकट्ठा कर के छुपा रखा हैं अपने सीने के करीब किसी कोने में, और इसी उम्मीद में सांसें गिन रहा हूं की किसी रोज़ मुझे वो ख़ाली बादल नज़र आयेंगे जिनमे मैं अपने आंसुओं के कतरों को घर करूंगा।
This is so good, wow !! The first para is so relatable, made me emotional kinda.
 
मैंने आंसुओं को कतरा कतरा कर के इकट्ठा कर के छुपा रखा हैं अपने सीने के करीब किसी कोने में, और इसी उम्मीद में सांसें गिन रहा हूं की किसी रोज़ मुझे वो ख़ाली बादल नज़र आयेंगे जिनमे मैं अपने आंसुओं के कतरों को घर करूंगा।

फिर मेरी जो आजमाइश हुई हैं, उसकी एक पुरज़ोर हवा चलेगी। मेरी आंखें मैं बोऊंगा, बंजर से ही सही पर ख़यालों की मिट्टी के तले और उस हवा से मेरे आंसुओं से भरे बादल तैर कर आयेंगे, और बारिश होगी। फिर पनपेंगे पौधे, जिसमे तेरे चेहरे खिलेंगे और मैं इसकी बागबानी करूंगा। मैं इन चेहरों को मुरझाने से बचाऊंगा, इन्हे आंसुओं से सींचूंगा और इनसे सादगी और बेपरवाही की जो खुशबू आयेगी उसे जियूंगा।


पर तब तलक, मैं अपने आंसुओं के कतरों को अपने सीने में कहीं छिपा कर रखूंगा।

(I have collected tears drop by drop and hidden them in some corner close to my chest, and I am counting my breaths in the hope that someday I will see those empty clouds in which I will house my tears.

Then a strong wind of my trials will blow. I will sow my eyes, right from the barren but under the soil of thoughts and from that wind clouds full of my tears will float, and it will rain. Then plants will flourish, in which your face will bloom and I will do its gardening. I will save these faces from withering, water them with tears and live the fragrance of simplicity and indifference that emanates from them.

But till then, I will keep my teardrops hidden somewhere in my chest.)
Amazing.I pray you see empty clouds very soon. Your collected tears need immediate release.:cool:
 
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