अलमारी में आज इक सूखा गुलाब मिल गया,
सारा कमरा इश्क़ की खुशबू से भर गया।
हो गयीं उन दिनों की प्यारभरी यादें ताजा,
आँख से ख़ुशी का इक ऑंसू धूल गया।
थी उसकी कुछ मज़बूरी जो मुझे मिल न सका,
जाने वाला जाते -जाते मगर तन्हा कर गया।
जला लिया उसकी याद में सोज़ का इक चिराग,
बेखुदी में मगर, मेरा हाथ जल गया।
क्या कभी दुबारा वो मुझे मिल पायेगा,
सोच कर इस ख्याल से दिल बहुत डर गया।
सारा कमरा इश्क़ की खुशबू से भर गया।
हो गयीं उन दिनों की प्यारभरी यादें ताजा,
आँख से ख़ुशी का इक ऑंसू धूल गया।
थी उसकी कुछ मज़बूरी जो मुझे मिल न सका,
जाने वाला जाते -जाते मगर तन्हा कर गया।
जला लिया उसकी याद में सोज़ का इक चिराग,
बेखुदी में मगर, मेरा हाथ जल गया।
क्या कभी दुबारा वो मुझे मिल पायेगा,
सोच कर इस ख्याल से दिल बहुत डर गया।
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