NiceView attachment 140150तुझे लिखने की कोशिश हर रोज करती हूँ कभी आधा तो कभी पूरा लिखती हूँ सालों बाद जब कलम ने तुम्हारा नाम लिखा डायरी ने भी पन्नों से एक सवाल किया-- भूल गई हो या भूला रही थी
अपनी खामोशियों को हमसे क्यों छुपा रही थी हम तो हर खामोशी में साथ थे इसके ये हमसे ही क्यों हिचकिचा रही थी!!
Ye bhi khub rahiView attachment 140150तुझे लिखने की कोशिश हर रोज करती हूँ कभी आधा तो कभी पूरा लिखती हूँ सालों बाद जब कलम ने तुम्हारा नाम लिखा डायरी ने भी पन्नों से एक सवाल किया-- भूल गई हो या भूला रही थी
अपनी खामोशियों को हमसे क्यों छुपा रही थी हम तो हर खामोशी में साथ थे इसके ये हमसे ही क्यों हिचकिचा रही थी!!
NiceView attachment 140150तुझे लिखने की कोशिश हर रोज करती हूँ कभी आधा तो कभी पूरा लिखती हूँ सालों बाद जब कलम ने तुम्हारा नाम लिखा डायरी ने भी पन्नों से एक सवाल किया-- भूल गई हो या भूला रही थी
अपनी खामोशियों को हमसे क्यों छुपा रही थी हम तो हर खामोशी में साथ थे इसके ये हमसे ही क्यों हिचकिचा रही थी!!
आ जिंदगी तू आज मेरा हिसाब कर..View attachment 140150तुझे लिखने की कोशिश हर रोज करती हूँ कभी आधा तो कभी पूरा लिखती हूँ सालों बाद जब कलम ने तुम्हारा नाम लिखा डायरी ने भी पन्नों से एक सवाल किया-- भूल गई हो या भूला रही थी
अपनी खामोशियों को हमसे क्यों छुपा रही थी हम तो हर खामोशी में साथ थे इसके ये हमसे ही क्यों हिचकिचा रही थी!!
Nice line jiiआ जिंदगी तू आज मेरा हिसाब कर..
या हर जबाब दे मुझे या लाजवाब कर।
या छीन ले नजर कि कोई ख्वाब ना पालूं..
या एक काम कर कि मेरा सच ये ख्वाब कर।।
View attachment 140150तुझे लिखने की कोशिश हर रोज करती हूँ कभी आधा तो कभी पूरा लिखती हूँ सालों बाद जब कलम ने तुम्हारा नाम लिखा डायरी ने भी पन्नों से एक सवाल किया-- भूल गई हो या भूला रही थी
अपनी खामोशियों को हमसे क्यों छुपा रही थी हम तो हर खामोशी में साथ थे इसके ये हमसे ही क्यों हिचकिचा रही थी!!
Wah wah phir ye kaese likheआज कुछ लिख नहीं पा रहा, शायद भूलने लगा हूँ तुम्हे l
Shukriya ji..Nice line jii
Awesome niceView attachment 140150तुझे लिखने की कोशिश हर रोज करती हूँ कभी आधा तो कभी पूरा लिखती हूँ सालों बाद जब कलम ने तुम्हारा नाम लिखा डायरी ने भी पन्नों से एक सवाल किया-- भूल गई हो या भूला रही थी
अपनी खामोशियों को हमसे क्यों छुपा रही थी हम तो हर खामोशी में साथ थे इसके ये हमसे ही क्यों हिचकिचा रही थी!!
लिखने का क्या है जनाब, लिखने के लिए उसकी यादें ही काफी है lWah wah phir ye kaese likhe
Bohot khoobलिखने का क्या है जनाब, लिखने के लिए उसकी यादें ही काफी है l