वो अपना है या बेगाना
अच्छा लगता है.....
दो पल उसका साथ बिताना
अच्छा लगता है.....
रोज बहाने करके जाना
अच्छा लगता है.....
एक झलक भी उसकी पाना
अच्छा लगता है.....
कहने को तो जब मैं चाहूं
वो हां कर दे...
लेकिन उनका ना- ना करना
अच्छा लगता है.....
उनकी बात अलग है
वो मुझको कुछ भी कह दे
आशिक, पागल या दीवाना
अच्छा लगता है.....
उनको शमां कहते हैं लोग,
मुस्काती हैं वो...
मुझको कहते हैं परवाना
अच्छा लगता है.....
रिश्ता न जाने क्या है
उनसे मेरा....
ख्वाबों में भी उनका आना
अच्छा लगता है.....
अच्छा लगता है.....
दो पल उसका साथ बिताना
अच्छा लगता है.....
रोज बहाने करके जाना
अच्छा लगता है.....
एक झलक भी उसकी पाना
अच्छा लगता है.....
कहने को तो जब मैं चाहूं
वो हां कर दे...
लेकिन उनका ना- ना करना
अच्छा लगता है.....
उनकी बात अलग है
वो मुझको कुछ भी कह दे
आशिक, पागल या दीवाना
अच्छा लगता है.....
उनको शमां कहते हैं लोग,
मुस्काती हैं वो...
मुझको कहते हैं परवाना
अच्छा लगता है.....
रिश्ता न जाने क्या है
उनसे मेरा....
ख्वाबों में भी उनका आना
अच्छा लगता है.....