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Tarakki.... (Promotion)

Rockzz

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
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औरत और मर्द का रिश्ता और क्या हो सकता था,
AMRITA JI इसी बात को कहना चाहती थी कि एक कहानी लिखी, ‘मलिका’।


मलिका जब बीमार है, सरकारी अस्पताल में जाती है, तो कागज़ी कार्रवाई पूरी करने के लिए

डाक्टर पूछता है.....
तुम्हारी उम्र क्या होगी ?

मलिका कहती है....
‘‘वही, जब इन्सान हर चीज के बारे में सोचना शुरू करता है, और फिर सोचता ही चला जाता है.....’’

डाक्टर पूछता है....
‘‘तुम्हारे मालिक का नाम ?’’

मलिका कहती है....

‘‘ मैं घड़ी या साइकिल नहीं, जो मेरा मालिक हो, मैं औरत हूं....’’

डाक्टर घबराकर कहता है...

‘‘मेरा मतलब है—तुम्हारे पति का नाम ?’’

मलिका जवाब देती है....

‘‘मैं बेरोज़गार हूं।’’
डाक्टर हैरान–सा कहता है....
‘‘भई, मैं नौकरी के बारे में नहीं पूछ रहा...’’

तो मलिका जवाब देती है.....
‘‘वही तो कह रही हूं। मेरा मतलब है किसी की बीवी नहीं लगी हुई’’


और कहती है....
‘‘हर इन्सान किसी-न-किसी काम पर लगा हुआ होता है, जैसे आप डाक्टर लगे हुए हैं, यह पास खड़ी हुई बीबी नर्स लगी हुई है। आपके दरवाजे के बाहर खड़ा हुआ आदमी चपरासी लगा हुआ है।

इसी तरह लोग जब ब्याह करते हैं—जो मर्द खाविंद लग जाते हैं, और औरतें बीवियां लग जाती हैं...’’

समाज की व्यवस्था में किस तरह इन्सान का वजूद खोता जाता है,

मैं यही कहना चाहती थी....
जिसके लिए मलिका का किरदार पेश किया।
जड़ हो चुके रिश्तों की बात करते हुए, मलिका कहती है, ‘‘क्यों डाक्टर साहब, यह ठीक नहीं ?

कितने ही पेशे हैं—
कि लोग तरक्की करते हैं, जैसे आज जो मेजर है, कल को कर्नल बन जाता है, फिर ब्रिगेडियर, और फिर जनरल।
लेकिन इस शादी-ब्याह के पेशे में कभी तरक्की नहीं होती।
बीवियां जिंदगी भर बीवियां लगी रहती है,
और
खाविंद ज़िंदगी भर खाविंद लगे रहते हैं....’’

उस वक्त डाक्टर पूछता है.... ‘इसकी तरक्की हो तो क्या तरक्की हो ?’’

तब मलिका जवाब देती है....

‘‘डाक्टर साहब हो तो सकती है, पर मैंने कभी होते हुए देखी नहीं।
यही कि
आज जो इन्सान खाविंद लगा हुआ है,
वह कल को महबूब हो जाए,
और
कल जो महबूब बने वह परसों खुदा हो जाए....!!’’
 

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औरत और मर्द का रिश्ता और क्या हो सकता था,
AMRITA JI इसी बात को कहना चाहती थी कि एक कहानी लिखी, ‘मलिका’।


मलिका जब बीमार है, सरकारी अस्पताल में जाती है, तो कागज़ी कार्रवाई पूरी करने के लिए

डाक्टर पूछता है.....
तुम्हारी उम्र क्या होगी ?

मलिका कहती है....
‘‘वही, जब इन्सान हर चीज के बारे में सोचना शुरू करता है, और फिर सोचता ही चला जाता है.....’’

डाक्टर पूछता है....
‘‘तुम्हारे मालिक का नाम ?’’

मलिका कहती है....

‘‘ मैं घड़ी या साइकिल नहीं, जो मेरा मालिक हो, मैं औरत हूं....’’

डाक्टर घबराकर कहता है...

‘‘मेरा मतलब है—तुम्हारे पति का नाम ?’’

मलिका जवाब देती है....

‘‘मैं बेरोज़गार हूं।’’
डाक्टर हैरान–सा कहता है....
‘‘भई, मैं नौकरी के बारे में नहीं पूछ रहा...’’

तो मलिका जवाब देती है.....
‘‘वही तो कह रही हूं। मेरा मतलब है किसी की बीवी नहीं लगी हुई’’


और कहती है....
‘‘हर इन्सान किसी-न-किसी काम पर लगा हुआ होता है, जैसे आप डाक्टर लगे हुए हैं, यह पास खड़ी हुई बीबी नर्स लगी हुई है। आपके दरवाजे के बाहर खड़ा हुआ आदमी चपरासी लगा हुआ है।

इसी तरह लोग जब ब्याह करते हैं—जो मर्द खाविंद लग जाते हैं, और औरतें बीवियां लग जाती हैं...’’

समाज की व्यवस्था में किस तरह इन्सान का वजूद खोता जाता है,

मैं यही कहना चाहती थी....
जिसके लिए मलिका का किरदार पेश किया।
जड़ हो चुके रिश्तों की बात करते हुए, मलिका कहती है, ‘‘क्यों डाक्टर साहब, यह ठीक नहीं ?

कितने ही पेशे हैं—
कि लोग तरक्की करते हैं, जैसे आज जो मेजर है, कल को कर्नल बन जाता है, फिर ब्रिगेडियर, और फिर जनरल।
लेकिन इस शादी-ब्याह के पेशे में कभी तरक्की नहीं होती।
बीवियां जिंदगी भर बीवियां लगी रहती है,
और
खाविंद ज़िंदगी भर खाविंद लगे रहते हैं....’’

उस वक्त डाक्टर पूछता है.... ‘इसकी तरक्की हो तो क्या तरक्की हो ?’’

तब मलिका जवाब देती है....

‘‘डाक्टर साहब हो तो सकती है, पर मैंने कभी होते हुए देखी नहीं।
यही कि
आज जो इन्सान खाविंद लगा हुआ है,
वह कल को महबूब हो जाए,
और
कल जो महबूब बने वह परसों खुदा हो जाए....!!’’
Awesome bhai
 
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