कुछ ऐसे जादुई रिश्ते भी होते हैं
जिनमें रिश्ते जैसा कुछ भी नही होता न साथ,
न मेल-मुलाक़ात,
न बात-चीत,
न चिट्ठी पत्री ...
सिर्फ होते हैं कुछ नम अहसास ...
इनका पता मन की परतों के तले दबा होता है ..
बड़ी लंबी होती है इनकी उम्र ...
ये तब भी साथ होते हैं जब कोई साथ नहीं होता ,
ये तब भी चुपके से दबे पाँव साथ आ जाते हैं..
जब बहुत सारे लोग साथ होते हैं ...
ये कभी आँसू बन कर आंखों को उदास कर जाते हैं
तो कभी मुस्कान बन कर होठों पर तैर जाते हैं
इन रिश्तों में कोई सेंध नहीं लगा सकता,
इनमें कोई चुगली नहीं चलती,
इनमें न तो कोई दिखावा होता है न छल,
न झूठ होता है न कोई उलाहना ...
सप्तमी के चांद जैसे
ये रिश्ते चुपचाप हमारी आत्मा को
अपने शीतल आलोक से आप्लावित
करते रहते हैं.........
वो है प्रेम का रिश्ता..
जिनमें रिश्ते जैसा कुछ भी नही होता न साथ,
न मेल-मुलाक़ात,
न बात-चीत,
न चिट्ठी पत्री ...
सिर्फ होते हैं कुछ नम अहसास ...
इनका पता मन की परतों के तले दबा होता है ..
बड़ी लंबी होती है इनकी उम्र ...
ये तब भी साथ होते हैं जब कोई साथ नहीं होता ,
ये तब भी चुपके से दबे पाँव साथ आ जाते हैं..
जब बहुत सारे लोग साथ होते हैं ...
ये कभी आँसू बन कर आंखों को उदास कर जाते हैं
तो कभी मुस्कान बन कर होठों पर तैर जाते हैं
इन रिश्तों में कोई सेंध नहीं लगा सकता,
इनमें कोई चुगली नहीं चलती,
इनमें न तो कोई दिखावा होता है न छल,
न झूठ होता है न कोई उलाहना ...
सप्तमी के चांद जैसे
ये रिश्ते चुपचाप हमारी आत्मा को
अपने शीतल आलोक से आप्लावित
करते रहते हैं.........
वो है प्रेम का रिश्ता..