थोड़ा सा खुलकर बात करें तो औकात पर आ जाते हैं लोग,
लड़कियाँ बेचारी क्या करें असली जात पे आ जाते हैं लोग,
वो चाहती है दोस्ती, हँसी, मजाक, मसखरी पर उन्हें जो नापसन्द है उसी बात पे आ जाते हैं लोग,
कुछ दिनों में उत्तर जाता है चेहरों पर चढ़ा नकली रंग, मौका
मिलते ही असली ख्यालात पे आ जाते हैं लोग, उनके लिये लड़कियों की ज़िन्दगी शतरंज की विसात से ज्यादा नही, सोच- समझकर जाल बिछाते हैं और सिधे मात पर आ जाते हैं लोग,
क्यों न बन जाये चार दिवारी उनका आशियाना, वो चाहती हैं दिन के उजाले मगर रात वाली हरकतों पर आ जाते हैं लोग...|||
लड़कियाँ बेचारी क्या करें असली जात पे आ जाते हैं लोग,
वो चाहती है दोस्ती, हँसी, मजाक, मसखरी पर उन्हें जो नापसन्द है उसी बात पे आ जाते हैं लोग,
कुछ दिनों में उत्तर जाता है चेहरों पर चढ़ा नकली रंग, मौका
मिलते ही असली ख्यालात पे आ जाते हैं लोग, उनके लिये लड़कियों की ज़िन्दगी शतरंज की विसात से ज्यादा नही, सोच- समझकर जाल बिछाते हैं और सिधे मात पर आ जाते हैं लोग,
क्यों न बन जाये चार दिवारी उनका आशियाना, वो चाहती हैं दिन के उजाले मगर रात वाली हरकतों पर आ जाते हैं लोग...|||