हक़ीक़त में प्यार क्या है?
मैं नहीं जानता...!!!
पर तुम्हारे साथ रह कर जाना है कि
किस तरह कभी नापसंद चीज़ें हमारी सबसे पसंदीदा हो जाती हैं...
बस इसलिए क्योंकि वो तुम्हें पसंद होती है...
और आश्चर्य की बात यह है कि ये सब स्वतः ही होता है...
जबरदस्ती जैसा कुछ नहीं होता इसमें...
दरअसल सच ही तो है अगर जबरदस्ती होता तो ये परिवर्तन नहीं होता
यहाँ उसकी जगह विद्रोह होता शायद...!!!
इस पगले लड़के के गुस्से वाले स्वभाव को परिवर्तित करने का सामर्थ्य सिर्फ तुम्हारे प्रेम और समर्पण में ही मिला...
मैंने तुमसे ही सीखा है प्रेम को
जब बच्चों के जैसे मासूमियत से मुस्कुराते हो
तो चुपके से हो जाता है मुझे
तुम्हारी उस निश्छल हँसी से प्रेम...!!!
परिवार जनों की बात करते हुए
तुम्हारी आंखों में उनके लिए
जो प्यार और सम्मान देखता हूँ
तो लाख ना चाहने पर भी मोह जाता हूँ तुम पर...!!!
योग्यता में श्रेष्ठ होकर भी सबकी सभी जिम्मेदारियों को उठाते हुए जब आदर से उनके सम्मान में झुकता हुआ देखता हूँ तो मन श्रद्धा से झुक जाता है तुम्हारी ओर...!!!
तुम साथ हो मेरे ये भाग्य है मेरा
और मैं प्रेम हूँ तुम्हारा ये सौभाग्य है मेरा...
वरना मैं कहाँ अदना सा
और तुम वात्सल्य का अथाह सागर.!
मैं नहीं जानता...!!!
पर तुम्हारे साथ रह कर जाना है कि
किस तरह कभी नापसंद चीज़ें हमारी सबसे पसंदीदा हो जाती हैं...
बस इसलिए क्योंकि वो तुम्हें पसंद होती है...
और आश्चर्य की बात यह है कि ये सब स्वतः ही होता है...
जबरदस्ती जैसा कुछ नहीं होता इसमें...
दरअसल सच ही तो है अगर जबरदस्ती होता तो ये परिवर्तन नहीं होता
यहाँ उसकी जगह विद्रोह होता शायद...!!!
इस पगले लड़के के गुस्से वाले स्वभाव को परिवर्तित करने का सामर्थ्य सिर्फ तुम्हारे प्रेम और समर्पण में ही मिला...
मैंने तुमसे ही सीखा है प्रेम को
जब बच्चों के जैसे मासूमियत से मुस्कुराते हो
तो चुपके से हो जाता है मुझे
तुम्हारी उस निश्छल हँसी से प्रेम...!!!
परिवार जनों की बात करते हुए
तुम्हारी आंखों में उनके लिए
जो प्यार और सम्मान देखता हूँ
तो लाख ना चाहने पर भी मोह जाता हूँ तुम पर...!!!
योग्यता में श्रेष्ठ होकर भी सबकी सभी जिम्मेदारियों को उठाते हुए जब आदर से उनके सम्मान में झुकता हुआ देखता हूँ तो मन श्रद्धा से झुक जाता है तुम्हारी ओर...!!!
तुम साथ हो मेरे ये भाग्य है मेरा
और मैं प्रेम हूँ तुम्हारा ये सौभाग्य है मेरा...
वरना मैं कहाँ अदना सा
और तुम वात्सल्य का अथाह सागर.!