कैसी उठी है दिल में, शरारत नई-नई !!
दिल चाहता है अब करना, मोहब्बत नई-नई !!
हो दिल से निकली हर बात, जो सुने कोई दिल से !!
दिल चाहता है अब करना, इबादत नई-नई !!
उसके चहरे की अलकों में, छिपा हो कोई नग्मा !!
पढ़ ले जिसे कोई, तो आए क़यामत नई-नई !!
मुक्कदर में मेरे, लिखी है खुशियाँ तुझसे ही !!
शायद खुदा की है तू कोई रहमत नई-नई !!
दिल चाहता है अब करना, मोहब्बत नई-नई !!
हो दिल से निकली हर बात, जो सुने कोई दिल से !!
दिल चाहता है अब करना, इबादत नई-नई !!
उसके चहरे की अलकों में, छिपा हो कोई नग्मा !!
पढ़ ले जिसे कोई, तो आए क़यामत नई-नई !!
मुक्कदर में मेरे, लिखी है खुशियाँ तुझसे ही !!
शायद खुदा की है तू कोई रहमत नई-नई !!