मेरी तन्हाइयों तुम ही लगा लो मुझको सीने से
के मैं घबरा गया हूँ इस तरह रो रो के जीने से
ये आधी रात को फिर चूड़ियाँ सी क्या खनकती हैं
कोई आता है या मेरी ही ज़ंजीरें छनकती हैं
ये बातें किस तरह पूछूँ मैं सावन के महीने से
बहुत लम्बी है राहें प्यार की, और ज़िन्दगी कम है
घटा भी घिर के आई है, दिये की लौ भी मद्धम है
किनारा दूर होता जा रहा है फिर सफ़ीने से
(सफ़ीना = कश्ती, नाव)
पीने दो मुझे अपने ही लहू का जाम पीने दो
ना सीने दो किसी को भी मेरा दामन ना सीने दो
मेरी वहशत ना बढ़ जाये कहीं दामन के सीने से
के मैं घबरा गया हूँ इस तरह रो रो के जीने से
ये आधी रात को फिर चूड़ियाँ सी क्या खनकती हैं
कोई आता है या मेरी ही ज़ंजीरें छनकती हैं
ये बातें किस तरह पूछूँ मैं सावन के महीने से
बहुत लम्बी है राहें प्यार की, और ज़िन्दगी कम है
घटा भी घिर के आई है, दिये की लौ भी मद्धम है
किनारा दूर होता जा रहा है फिर सफ़ीने से
(सफ़ीना = कश्ती, नाव)
पीने दो मुझे अपने ही लहू का जाम पीने दो
ना सीने दो किसी को भी मेरा दामन ना सीने दो
मेरी वहशत ना बढ़ जाये कहीं दामन के सीने से