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Kya kuch kami reh gyi thi????

Daizy_

Favoured Frenzy
क्या कुछ कमी रह गई थी???

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया
कुछ पल, कुछ खुशियाँ, कुछ गम
जो मेरे साथ चले थे, पर अब नहीं हैं

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ बातें जो मैं कहना चाहता था
कुछ सपने जो मैं देखना चाहता था
पर वक्त ने मुझे आगे बढ़ने को कहा

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की
पर कभी-कभी लगता है कि
कुछ कमी रह गई थी, कुछ अधूरा रह गया

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ पल जो मैं जीना चाहता था
कुछ खुशियाँ जो मैं मनाना चाहता था
पर अब वो पल, वो खुशियाँ नहीं हैं

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैं आगे बढ़ता रहूँगा
पर कभी-कभी मुड़कर देखूँगा

क्या कुछ कमी रह गई थी?
 
क्या कुछ कमी रह गई थी???

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया
कुछ पल, कुछ खुशियाँ, कुछ गम
जो मेरे साथ चले थे, पर अब नहीं हैं

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ बातें जो मैं कहना चाहता था
कुछ सपने जो मैं देखना चाहता था
पर वक्त ने मुझे आगे बढ़ने को कहा

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की
पर कभी-कभी लगता है कि
कुछ कमी रह गई थी, कुछ अधूरा रह गया

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ पल जो मैं जीना चाहता था
कुछ खुशियाँ जो मैं मनाना चाहता था
पर अब वो पल, वो खुशियाँ नहीं हैं

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैं आगे बढ़ता रहूँगा
पर कभी-कभी मुड़कर देखूँगा

क्या कुछ कमी रह गई थी?
चलते रहे राहों में, मंज़िल की तलाश में,
कभी धूप में जले, कभी छांव के प्यास में।
पीछे मुड़कर देखा तो एहसास हुआ,
कुछ पल, कुछ ख्वाब, कुछ जज़्बात छूट गए हवा में।

क्या कोई कमी रह गई थी?
शायद कुछ बातें अधूरी रह गईं,
शायद कुछ खुशियाँ थम नहीं पाईं,
शायद कुछ सपनों को पंख ही नहीं मिल पाए।

पर अधूरापन ही तो ज़िंदगी का हसीं किस्सा है,
जो पूरा नहीं हुआ वो ही सबसे बड़ा हिस्सा है।
यादों की गठरी थामे आगे बढ़ते रहना,
हर हार में छिपा है जीत का गहना।

इस सफर का हर अधूरा मोड़,
बस यही कहता है —
"मत रुकना, मत थमना,
क्योंकि हर अधूरा पल
कल की मुकम्मल दास्तां बनेगा।
 
चलते रहे राहों में, मंज़िल की तलाश में,
कभी धूप में जले, कभी छांव के प्यास में।
पीछे मुड़कर देखा तो एहसास हुआ,
कुछ पल, कुछ ख्वाब, कुछ जज़्बात छूट गए हवा में।

क्या कोई कमी रह गई थी?
शायद कुछ बातें अधूरी रह गईं,
शायद कुछ खुशियाँ थम नहीं पाईं,
शायद कुछ सपनों को पंख ही नहीं मिल पाए।

पर अधूरापन ही तो ज़िंदगी का हसीं किस्सा है,
जो पूरा नहीं हुआ वो ही सबसे बड़ा हिस्सा है।
यादों की गठरी थामे आगे बढ़ते रहना,
हर हार में छिपा है जीत का गहना।

इस सफर का हर अधूरा मोड़,
बस यही कहता है —
"मत रुकना, मत थमना,
क्योंकि हर अधूरा पल
कल की मुकम्मल दास्तां बनेगा।
Nicee keep writing
 
क्या कुछ कमी रह गई थी???

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया
कुछ पल, कुछ खुशियाँ, कुछ गम
जो मेरे साथ चले थे, पर अब नहीं हैं

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ बातें जो मैं कहना चाहता था
कुछ सपने जो मैं देखना चाहता था
पर वक्त ने मुझे आगे बढ़ने को कहा

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की
पर कभी-कभी लगता है कि
कुछ कमी रह गई थी, कुछ अधूरा रह गया

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ पल जो मैं जीना चाहता था
कुछ खुशियाँ जो मैं मनाना चाहता था
पर अब वो पल, वो खुशियाँ नहीं हैं

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैं आगे बढ़ता रहूँगा
पर कभी-कभी मुड़कर देखूँगा

क्या कुछ कमी रह गई थी?
kya-baat-hai-raja-indravarma.gif
 
क्या कुछ कमी रह गई थी???

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया
कुछ पल, कुछ खुशियाँ, कुछ गम
जो मेरे साथ चले थे, पर अब नहीं हैं

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ बातें जो मैं कहना चाहता था
कुछ सपने जो मैं देखना चाहता था
पर वक्त ने मुझे आगे बढ़ने को कहा

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की
पर कभी-कभी लगता है कि
कुछ कमी रह गई थी, कुछ अधूरा रह गया

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ पल जो मैं जीना चाहता था
कुछ खुशियाँ जो मैं मनाना चाहता था
पर अब वो पल, वो खुशियाँ नहीं हैं

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैं आगे बढ़ता रहूँगा
पर कभी-कभी मुड़कर देखूँगा

क्या कुछ कमी रह गई थी?
इस टुकड़े में पुरानी यादों और लालसा की गहरी भावना है, जैसे अधूरी कहानियों और अनकहे शब्दों की गूँज। "क्या कुछ कमी थी?" की पुनरावृत्ति इसे और भी अधिक शक्तिशाली बनाता है—यह वह प्रश्न है जो जीवन अक्सर हमारे सामने छोड़ देता है। कुछ पल बहुत जल्दी बीत जाते हैं, कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं और कुछ भावनाओं को व्यक्त करने का सही समय नहीं मिल पाता। लेकिन शायद, बस शायद, जीवन की सुंदरता उन्हीं अंतरालों में निहित है - अनकही रह गई बातें, अनदेखे रह गए रास्ते, और यादें जो हमें वापस बुलाती रहती हैं।
 
क्या कुछ कमी रह गई थी???

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया
कुछ पल, कुछ खुशियाँ, कुछ गम
जो मेरे साथ चले थे, पर अब नहीं हैं

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ बातें जो मैं कहना चाहता था
कुछ सपने जो मैं देखना चाहता था
पर वक्त ने मुझे आगे बढ़ने को कहा

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की
पर कभी-कभी लगता है कि
कुछ कमी रह गई थी, कुछ अधूरा रह गया

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ पल जो मैं जीना चाहता था
कुछ खुशियाँ जो मैं मनाना चाहता था
पर अब वो पल, वो खुशियाँ नहीं हैं

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैं आगे बढ़ता रहूँगा
पर कभी-कभी मुड़कर देखूँगा

क्या कुछ कमी रह गई थी?
Ye yaadee i to hai jo hame majbur karte hai peeche dekhne ke liye.
 
क्या कुछ कमी रह गई थी???

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया
कुछ पल, कुछ खुशियाँ, कुछ गम
जो मेरे साथ चले थे, पर अब नहीं हैं

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ बातें जो मैं कहना चाहता था
कुछ सपने जो मैं देखना चाहता था
पर वक्त ने मुझे आगे बढ़ने को कहा

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की
पर कभी-कभी लगता है कि
कुछ कमी रह गई थी, कुछ अधूरा रह गया

क्या कुछ कमी रह गई थी?
कुछ पल जो मैं जीना चाहता था
कुछ खुशियाँ जो मैं मनाना चाहता था
पर अब वो पल, वो खुशियाँ नहीं हैं

जिंदगी की राहों में चलते हुए
मैं आगे बढ़ता रहूँगा
पर कभी-कभी मुड़कर देखूँगा

क्या कुछ कमी रह गई थी?
आगे चाहो जितना बढ़ जाओ
कमी कुछ ना कुछ रह ही जाती है,
कमियों की तरफ देखेंगे अगर तो
वर्तमान को ढंग से जीना मुश्किल होगा।
 
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