कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ?तुम कह देना कोई खास नहीं
एक दोस्त है पक्का कच्चा सा एक झूठ है आधा सच्चा सा
जस्बात से ढका कोई पर्दा है एक बहाना है कोई अच्छा सा
जीवन का ऐसा साथी है जो पास होकर भी पास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं…
एक साथी, जो अनकही सी कुछ बाते यूं कह जाता है
यादोंमे जिसका धुंधला सा बस चेहरा ही रह जाता है
यूं तो उसके ना होनेका मुझको कोई गम नहीं
पर कभी कभी वो आंखों से आसू बनके बह जाता है
रहता तो मेरे जहन मै है नजरों को उसकी तलाश नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं
साथ बनकर जो रहता है दर्द बाँटता जाता है
भूलना अगर चाहूँ फिर भी यादों मै छा जाता है
अकेला महसूस करूं कभी तो सपनोंमें आ जाता है
मै साथ खडा हूँ सदा तुम्हारे कहकर साहस दे जाता है
ऐसे रहता है साथ मेरे उसकी मौजूदगीका आभास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना…..कोई खास नहीं !
________________________Gulzaar sahab
एक दोस्त है पक्का कच्चा सा एक झूठ है आधा सच्चा सा
जस्बात से ढका कोई पर्दा है एक बहाना है कोई अच्छा सा
जीवन का ऐसा साथी है जो पास होकर भी पास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं…
एक साथी, जो अनकही सी कुछ बाते यूं कह जाता है
यादोंमे जिसका धुंधला सा बस चेहरा ही रह जाता है
यूं तो उसके ना होनेका मुझको कोई गम नहीं
पर कभी कभी वो आंखों से आसू बनके बह जाता है
रहता तो मेरे जहन मै है नजरों को उसकी तलाश नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं
साथ बनकर जो रहता है दर्द बाँटता जाता है
भूलना अगर चाहूँ फिर भी यादों मै छा जाता है
अकेला महसूस करूं कभी तो सपनोंमें आ जाता है
मै साथ खडा हूँ सदा तुम्हारे कहकर साहस दे जाता है
ऐसे रहता है साथ मेरे उसकी मौजूदगीका आभास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना…..कोई खास नहीं !
________________________Gulzaar sahab