यदि कबीर जिंदा होते तोह आज कल के दोहे यह होते
1= पानी आंखों का मरा मरी शर्म और लाज
कहे बहु अब सास से घर मैं मेरा राज।।
2= भाई भी करता नही भाई पर विश्वास
बहन पराई हो गई साली खासम खास।।
3= मंदिर में पूजा करे घर में करे कलेश
बापू तो बोझा लगे पत्थर लगे गणेश।।
4= बचे कहां अब शेष है दया धर्म ईमान
पत्थर के भगवान है, पत्थर दिल इंसान।।
5= पत्थर के भगवान को लगते छप्पन भोग
मर जाते फुटपाथ पर भूखे प्यासे लोग।।
6= फैला है पाखंड का अंधकार सब और
पापी करते जागरण मचा मचा कर शोर।।
7= पहन मुखौटा धर्म का करते दिन भर पाप
भंडारे करते फिरे घर में भूखा बाप ।।।
1= पानी आंखों का मरा मरी शर्म और लाज
कहे बहु अब सास से घर मैं मेरा राज।।
2= भाई भी करता नही भाई पर विश्वास
बहन पराई हो गई साली खासम खास।।
3= मंदिर में पूजा करे घर में करे कलेश
बापू तो बोझा लगे पत्थर लगे गणेश।।
4= बचे कहां अब शेष है दया धर्म ईमान
पत्थर के भगवान है, पत्थर दिल इंसान।।
5= पत्थर के भगवान को लगते छप्पन भोग
मर जाते फुटपाथ पर भूखे प्यासे लोग।।
6= फैला है पाखंड का अंधकार सब और
पापी करते जागरण मचा मचा कर शोर।।
7= पहन मुखौटा धर्म का करते दिन भर पाप
भंडारे करते फिरे घर में भूखा बाप ।।।
Last edited: