कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो
पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
परियों की महफ़िल हो
कोई तुम्हारी बात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
ये नर्म, मुलायम, ठंडी हवाएँ
जब घर से तुम्हारे गुज़रें
तुम्हारी खुशबू चुराएँ
मेरे घर ले आयें
कभी यूँ भी तो हो
सूनी हर महफ़िल हो
कोई न मेरे साथ हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
ये बादल ऐसा टूट के बरसे
मेरे दिल की तरह मिलने को
तुम्हारा दिल भी तरसे
तुम निकलो घर से
कभी यूँ भी तो हो
तन्हाई हो, दिल हो
बूँदें हों, बरसात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो
पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो...
दरिया का साहिल हो
पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
परियों की महफ़िल हो
कोई तुम्हारी बात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
ये नर्म, मुलायम, ठंडी हवाएँ
जब घर से तुम्हारे गुज़रें
तुम्हारी खुशबू चुराएँ
मेरे घर ले आयें
कभी यूँ भी तो हो
सूनी हर महफ़िल हो
कोई न मेरे साथ हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
ये बादल ऐसा टूट के बरसे
मेरे दिल की तरह मिलने को
तुम्हारा दिल भी तरसे
तुम निकलो घर से
कभी यूँ भी तो हो
तन्हाई हो, दिल हो
बूँदें हों, बरसात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो
पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ
कभी यूँ भी तो हो...