" नर नारी "
दुनिया का ये खेल निराला है ,
नर और नारी में भेद पुराना है ।।
मंदिर मे जो पुजी जाए ,
घर घर में उसको ही लाचारी हैं ।।
बढ़ जाए कद नारी का ,
ए कहा दुनिया को भाता हैं ।।
पंरपरा और वंशवाद के गोते में
आज भी नारी का फूल खिलनेसे पहले काटा जाता हैं ।।
दुनिया बदले , या बदले तकनीक ,
नारी की हर एक युग में कोई ना कोई गाथा हैं ।।
दुनिया का ये खेल निराला हैं,
नर और नारी में भेद पुराना हैं,
नर और नारी में भेद पुराना हैं ।।
दुनिया का ये खेल निराला है ,
नर और नारी में भेद पुराना है ।।
मंदिर मे जो पुजी जाए ,
घर घर में उसको ही लाचारी हैं ।।
बढ़ जाए कद नारी का ,
ए कहा दुनिया को भाता हैं ।।
पंरपरा और वंशवाद के गोते में
आज भी नारी का फूल खिलनेसे पहले काटा जाता हैं ।।
दुनिया बदले , या बदले तकनीक ,
नारी की हर एक युग में कोई ना कोई गाथा हैं ।।
दुनिया का ये खेल निराला हैं,
नर और नारी में भेद पुराना हैं,
नर और नारी में भेद पुराना हैं ।।