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Hindi Diwas - 14th September

Deepak Kiran

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दिवस के दिन स्कूल और कॉलेज में छात्र भाषण देकर लोगों को हिंदी दिवस को लेकर जागरूक करते हैं। छात्र अपनी मातृ भाषा के प्रति अपना प्यार और सम्मान दर्शाते हैं और लोगों को इस भाषा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते हैं।

हर साल 14 सितंबर का दिन हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिन्दी दिवस को पूरे एक हफ्ते तक सेलिब्रेट किया जाता है, जिसे हिन्दी पखवाड़ा के नाम से जानते हैं। हिन्दी दुनिया में बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर पर है। दुनिया में 55 करोड़ लोग इस भाषा को समझते हैं, जबकि भारत में 45 करोड़ नागरिकों की बातचीत का जरिया हिन्दी भाषा है। आज़ादी के बाद अंग्रेजी के बढ़ते चलन और हिन्दी के महत्व को कम होते देख हिन्दी दिवस को हर साल मनाने का फैसला लिया गया। 14 सितंबर को 1949 को हिंदी को राजभाषा बनाया गया लेकिन गैर हिंदी राज्यों ने इसका विरोध किया जिसकी वजह से अंग्रेजी को हिन्दी की जगह दी गई। तब से लेकर आज तक हिंदी के महत्व को बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है।

इस दिन को स्कूलों से लेकर कार्यालयों तक में सेलिब्रेट किया जाता है, जिसके तहत निबंध प्रतियोगिता, भाषण, काव्य गोष्ठी, वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं। हिन्दी भाषा के उत्थान और भारत में राष्ट्रभाषा का सम्मान दिलाने के लिए ही हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

 
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The country is celebrating Hindi Diwas today. Know its significance


Hindi Diwas is celebrated on 14 September as on this day the Constituent Assembly of India had adopted Hindi written in Devanagri script in 1949 as the official language of the Republic of India.

It is also called National Hindi Day and is celebrated every year on September 14 to promote the language.

The day is celebrated in schools, colleges, and government offices by organising Hindi essay competitions, Hindi debates and other events.
 
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गूंजी हिन्दी विश्व में
गूंजी हिन्दी विश्व में,
स्वप्न हुआ साकार;
राष्ट्र संघ के मंच से,
हिन्दी का जयकार;
हिन्दी का जयकार,
हिन्दी हिन्दी में बोला;
देख स्वभाषा-प्रेम,
विश्व अचरज से डोला;
कह कैदी कविराय,
मेम की माया टूटी;
भारत माता धन्य,
स्नेह की सरिता फूटी

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अगर हिंदी भाषा का करना है उत्थान,

तो हिन्दी को अपनाना होगा,
अंग्रेजी को “विषय-मात्र”,

और हिंदी को “अनिवार्य” बनाना होगा।


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करो अपनी भाषा पर प्यार ।

जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार ।।
जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार,
और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार ।
बढ़ायो बस उसका विस्तार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,
सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान ।
असंख्यक हैं इसके उपकार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,
और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद ।
बनाओ इसे गले का हार ।

करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
 
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हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी हमारी वर्तनी हिंदी हमारा व्याकरण
हिंदी हमारी संस्कृति हिंदी हमारा आचरण
हिंदी हमारी वेदना हिंदी हमारा गान है।
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी हमारी आत्मा है भावना का साज़ है
हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है
हिंदी हमारी अस्मिता हिंदी हमारा मान है।
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है
हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है
हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है।
हिंfदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे
तब तक वतन की राष्ट्रभाषा ये अमर हिंदी रहे
हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है।

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।




हिंदी दिवस पर हमने ठाना है
लोगों में हिंदी का स्वाभिमान जगाना है,
हम सब का अभिमान है हिंदी
भारत देश की शान है हिंदी,
हिंदी से हिन्दुस्तान है
तभी तो यह देश महान है,
निज भाषा की उन्नति के लिए

अपना सब कुछ कुर्बान है।
 
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विस्तार​

भारत में आज हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। अगर आंकड़ों के आधार पर बात करें तो अंग्रेजी, स्पैनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। सिर्फ भारत ही नहीं, हिंदी बोलने और लिखने वाले लोग इस वक्त फिजी से लेकर नेपाल और दक्षिण अफ्रीका तक मिल जाएंगे। हालांकि, हिंदीभाषियों को बड़ा जमावड़ा भारत में ही है। वह भी अधिकतर आबादी उत्तर भारत में ही बसी है। आखिरी जनगणना के डाटा को आधार बनाएं तो देश में करीब 43.63 फीसदी जनता की पहली भाषा हिंदी पाई गई। यानी आज से 10 साल पहले देश के 125 करोड़ लोगों में से लगभग 53 करोड़ लोग हिंदी को ही मातृभाषा मानते थे।

भारत में हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या बढ़ी, बाकियों की घटी​


मजेदार बात यह है कि इस जनगणना के आंकड़ों में यह साफ हुआ था कि 1971 से 2011 के बीच हिंदी बोलने वालों की संख्या में 6 फीसदी का इजाफा हुआ, जबकि बाकी सभी भाषाओं को जानने वालों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। यानी हर दशक में हिंदी जानने वालों की संख्या औसतन 1.5 फीसदी की दर से बढ़ी। अगर पिछले एक दशक में हुई बढ़ोतरी के बाद भारत की आबादी 138 करोड़ तक पहुंचने के अनुमान को सही मान लिया जाए तो इस वक्त हिंदी बोलने वालों की संख्या तकरीबन 80 लाख तक बढ़ी होगी। यानी इतनी आबादी में करीब 54 करोड़ लोगों के हिंदी जानने का अनुमान है।

उत्तर भारत के दो राज्यों में हिंदी पहली भाषा नहीं​

अगर पिछली जनगणना के राज्यवार भाषाई आंकड़े को देखा जाए तो पता लगता है कि कुल हिंदीभाषियों में 90 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या भारत के 12 राज्यों में ही है। इनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सबसे ऊपर हैं। बाकी बची आबादी मध्य भारत से लेकर दक्षिण भारत में छिटपुट बिखरी है। इन चार राज्यों के अलावा राजस्थान (89 फीसदी), छत्तीसगढ़ (83 फीसदी), बिहार (77.52 फीसदी) और झारखंड (61.94 फीसदी) चार ऐसे राज्य हैं, जहां हिंदी जानने वालों की अच्छी-खासी संख्या है। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत और तटीय क्षेत्रों से जुड़े ज्यादातर राज्यों में हिंदी का प्रभाव काफी कम है। उधर, उत्तर भारत के दो राज्यों पंजाब (9.35 फीसदी) और जम्मू-कश्मीर (2011 में 20.8 फीसदी) में भी हिंदी बोलने वालों की संख्या गिनी-चुनी ही है।

उत्तर भारत से नीचे जाते ही हिंदी का वर्चस्व कम​

देश के ज्यादातर लोगों का मानना है कि मध्य भारत में भी हिंदी एक प्रमुख भाषा है। हालांकि, आंकड़े चौंकाते हैं, क्योंकि देश के सिर्फ 12 राज्यों में ही हिंदी को मुख्य भाषा के तौर पर चुना गया (2011 के आंकड़ों में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश साथ शामिल)। इतना ही नहीं, पश्चिम भारत में गुजरात और मध्य भारत के महाराष्ट्र में भी काफी कम संख्या में लोग हिंदी को अपनी पहली भाषा बताते हैं। गुजरात में प्राथमिक तौर पर हिंदी बोलने वालों का आंकड़ा राज्य की जनसंख्या के मुकाबले 7 फीसदी से कुछ ज्यादा है। वहीं, महाराष्ट्र में यह संख्या 12 फीसदी के करीब है। उधर, पश्चिम बंगाल (6.96 फीसदी), गोवा (10.28 फीसदी) और असम (6.73 फीसदी) में भी पहली भाषा के तौर पर हिंदी को चिह्नित करने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है।

दक्षिण भारत के राज्यों में क्या है हिंदी का हाल?​

भारत में हिंदी को पहली भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वालों की सबसे कम संख्या दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर भारत में है। लक्षद्वीप में सिर्फ 0.2 फीसदी लोग हिंदी बोलते हैं। वहीं, पुडुचेरी में 0.51 फीसदी, तमिलनाडु में 0.54 फीसदी और केरल में 0.15 फीसदी लोग ही हिंदी को प्रथम भाषा मानते हैं। इसके अलावा कर्नाटक में 3.29 फीसदी, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मिलाकर 3.6 फीसदी लोग ही हिंदी को बोलचाल की भाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। पूर्वी राज्य ओडिशा में सिर्फ 2.95 फीसदी लोग हिंदी वक्ता हैं।

पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंदी में नहीं होती बातचीत​

हिंदी बोलने वाले राज्यों में पूर्वोत्तर भी काफी पीछे है। सिक्किम में सिर्फ 7.9 फीसदी, अरुणाचल में 7.09 फीसदी, नगालैंड में 3.18 फीसदी तो त्रिपुरा में 2.11 फीसदी लोग ही हिंदी बोलते हैं। इसके अलावा मिजोरम में 0.97 फीसदी, मणिपुर में 1.11 फीसदी लोग ही हिंदी का इस्तेमाल करते हैं। असम में भी सिर्फ 6.73 फीसदी लोग ही हिंदी बोलते हैं।
 
English के कुछ शब्द Silent होते है,
हमारी हिंदी में बिंदी भी बोलती है।

आप सभी को हिंदी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।
 
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